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________________ ( xxii ) (झ) वस्त्र एवं वेशभूषा १४३-१५० १. प्रस्ताविक; २. सामान्य विशेषताएँ; ३. प्रकार एवं स्वरूप-अंशुक (शुकच्छायांशुक, स्तनांशुक, उज्ज्वलांशुक, सदंशुक, पटांशुक), क्षोम, कंचुक, चीनपट, प्रावार, उष्णीष, चीवर, परिधान, कम्बल, रंग-बिरंगे कपड़े, उपसंव्यान, वल्कल, दुष्यकुटी या देवदूष्य, दुकूल, कुशा के वस्त्र, वासस्, कुसुम्भ, नेत्र, एणाजिना, उपानत्क, उत्तरीय, अन्य प्रकार के वस्त्र (प्रच्छदपट, परिकर, गल्लक, उपधान, लालरंग का साफा, वल्कल, चर्म-निर्मित, पीताम्बर)। (अ) आभूषण १५१-१६३ १. आभूषण बनाने के उपादान; २. आभूषण के आकारप्रकार- (अ) शिरोभूषण-किरीट, किरीटी, चूड़ामणि, मुकुट, मौलि, सीमान्तकमणि, उत्तंस, कुन्तली, पट्ट ।। (ब) कर्णाभूषण-कुण्डल, अवतंस, तलपत्रिका, बालिक । (स) कण्ठाभूषण-यष्टि (शीर्षक, उपशीर्षक, प्रकाण्ड, अवघाटक, तरल प्रबन्ध-(मणिमध्या यष्टि एवं शुद्धा यष्टि), हार (इन्द्रच्छन्दहार, विजयच्छन्दहार, हार, देवरच् छन्दहार, अर्द्धहार, रश्मिकलापहार, गुच्छहार, नक्षत्रमालाहार, अर्द्धगुच्छहार, माणवहार, अर्द्धमाणवहार), कण्ठ के अन्य आभूषण (कण्ठमालिका, कण्ठाभरण, स्रक, काञ्चनसूत्र, ग्रैवेयक, हारलता, हारवल्ली, हारवल्लरी, मणिहार, हाटक, मुक्ताहार, कण्ठिका, कण्ठिकेवास ) । (द) कराभूषणअंगद, केयूर, मुद्रिका, कटक । य) कटि आभूषण-काञ्ची, मेखला, रसना, दाम, कटिसूत्र । (र) पादाभूषणनूपुर, तुलाकोटि, गोमुखमणि । (ट) प्रसाधन १६४-१६७ १. प्रसाधन-सामग्रो एवं उसका उपयोग-मञ्जन, तिलक, काजल, भौंह का शृङ्गार, पत्ररचना, ओष्ठ रँगना, कपूर, चन्दन. कुंकुम, आलक्तक, सुगन्धितचूर्ण; २. केशप्रसाधन-केश-विन्यास, अलक-जाल, धम्मिलविन्यास, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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