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________________ जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन है । यह लम्बा एवं कसा हुआ होता था। इस पर सिलवटें पड़ी रहती थीं।' स्त्रियाँ कंचुक धारण करती थीं। नागार्जुनीकोण्डा और अमरावती की कला में कंचुक का चित्रण उपलब्ध है। चीनपट : निशीथ में उल्लिखित है कि बहुत पतले रेशमी वस्त्र या चीन निर्मित रेशमी वस्त्र को चीनांशुक या चीनपट कहते हैं। प्रथम शती ई० पू० में भारतीय वणिक मध्य एशिया में व्यापार करते थे और वहाँ से वे चीनी-रेशमी वस्त्र का भी व्यापार करते थे। बृहत्कल्पभाष्य में इसका वर्णन चीन के महीन रेशमी वस्त्र के रूप में उपलब्ध है। प्रावार" : वर्तमान कालीन दुशाले से इसकी साम्यता परिलक्षित होती है। हेमचन्द्र ने अपने ग्रन्थ में 'राजाच्छादनाः प्रावराः' का प्रयोग किया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि राजाओं के ओढ़ने-बिछाने योग्य ऊनी या रेशमी वस्त्र हेतु प्रावार (चादर) शब्द प्रचलित था। निशीथ में नीलगाय के चर्म से निर्मित चादरार्थ प्रावार शब्द प्रयुक्त हुआ है। अमरकोश में दुप्पट्टे एवं चादर हेतु पाँच शब्द -प्रावार; उत्तरासंग, बृतिका, संव्यान और उत्तरीय-उपलब्ध हैं।" उष्णीष' : उष्णीष शब्द का प्रयोग पगड़ी या साफा के अर्थ में सर्वप्रथम अथर्ववेद में हुआ है। इसका प्रचलन वैदिक काल में हो चुका था। शतपथब्राह्मण में १. मोती चन्द्र-वही, पृ० १०६-११० २. सिद्धेश्वरी नारायण राय-पौराणिक धर्म एवं समाज, पृ० २६६. ३. महा ६४८; हरिवंश ७।८७, ११।१२१ ४. निशीथ ४७, पृ० ४६७; तुलनीय-आचासंग २।१४।६; भगवतीसूत्र ६।३३६ सर आरल स्टाइन-एशिया मेजदा हर्थ एनिवर्सरी, वाल्यूम १६२३, पृ० ३६८-३७२ ६. बृहत्कल्पसूत्र ४।३६।६२ ७ महा ६।४८; आचारांग २।५।१-८ ८. हेमचन्द्र का व्याकरण ३।४।४१ ६. निशीथ ४७, पृ० ४६७ १०. अमरकोश २।६।११७-११८ ११. महा १०।१७८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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