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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन
करती थी, वही उसका पति होता था और ऐसी परिस्थिति में उसके बीच में व्यवधान डालना अनुचित था । यदि कन्या को वर पसन्द नहीं आता था, तब स्वयंवर भंग कर दिया जाता था । 2 स्वयंवर में प्रारम्भ से अन्त तक का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व कन्या पक्ष का होता था । '
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(ii) गान्धर्व विवाह : जब करते थे, तो उसे गान्धर्व विवाह की ने कुन्ती के साथ गान्धर्व विवाह किया था । * विवाह में प्रेम का प्रारम्भ कभी वर की ओर से से और कभी-कभी दोनों ही ओर से होता है ।
जैनेतर मार्कण्डेय पुराण के अनुसार गान्धर्व विवाह केवल क्षत्रियों के लिए ही विहित था । गान्धर्व विवाह में पिता की अभिरुचि गौण थी । यही कारण है कि उत्तरकालीन स्मृतिकारों ने स्वयंवर को भी गान्धर्व विवाह माना है ।"
(iii) परिवार द्वारा नियोजित विवाह । कन्या के उपयुक्त वर के लिए अपने मित्र और मंत्री से परामर्श किया जाता था ।" कन्या के माता-पिता कन्या के योग्य वर ढूंढ़ कर तथा विधि-विधान से विवाह सम्पन्न कर जामाता को यथाशक्ति धन आदि देकर मंगलाचारपूर्वक कन्या की विदाई करते थे ।" पद्म पुराण के अनुसार
१.
पद्म ६७०, ६६ ६१ २. हरिवंश ३१।३५
३. महा ६२८२
४. पद्म ८ । १०८,
५. पद्म ६३।१८
युवक एवं युवती काम के वशीभूत होकर सम्भोग संज्ञा दी जाती है । उदाहरणार्थ, राजा पाण्डु पद्म पुराण में वर्णित है कि गान्धर्व होता है तथा कभी कन्या की ओर
पृ० १४१; ज्ञाताधर्मकथा ८
८.
हरिवंश २६/६८, ४५|३७ तुलनीय - उत्तराध्ययनटीका,
६. वही ८1१०१, १०७
19.
वही ६।१६
८. बृजेन्द्र नाथ शर्मा - सोशल ऐण्ड कल्चरल हिस्ट्री ऑफ नार्दर्न इण्डिया, नई
दिल्ली, १६७२, पृ० ५८
याज्ञवल्क्य स्मृति १६१; काणे - वही, पृ० ५२३; एम० एन० राय - पौराणिक
धर्म एवं समाज, पृ० २३२
१०.
पद्म १५/२५-२६
११ . वही १०।१०; महा ४५।३४
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