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________________ सामाजिक व्यवस्था ७३ सन्तान के जन्म के एक वर्ष पूर्ण हो जाने पर व्युष्टि क्रिया की जाती है । इसका अन्य नाम शास्त्रानुसार 'वर्ष वर्धन' है। इसमें भी पूर्ववत् जिनेन्द्र की पूजा तथा दान देने का विधान है। वर्ष वर्धन के अवसर पर निखिल इष्ट-बन्धुओं को सादर निमंत्रित कर भोजन कराने का नियम भी है।' इस क्रिया का विशिष्ट मंत्र यह है--'उपनयनजन्मवर्षवर्धनभागी भव, वैवाहनिष्ठवर्षवर्धनभागी भव, मुनीन्द्र जन्मवर्षवर्धनभागी भव, यौवराज्यवर्षवर्धनभागी भव, महाराज्यवर्षवर्धनभागी भव, परमराज्यवर्षवर्धनभागी भव, आर्हन्त्य राज्यवर्षवर्धनभागी भव । २ १२. केशवाप क्रिया (चूडाकर्म क्रिया) : केशवाप का अभिप्राय है मुण्डन । किसी शुभ दिन में देव तथा गुरु की पूजा इस क्रिया में अनिवार्य है । सर्वप्रथम . शिशु के केशों को सुगन्धित जल से भिगोया जाता है। पूजित हुए अवशिष्ट अक्षत को केशों पर रखने का नियम है। तदनन्तर स्वकुल की रीति के अनुसार क्षौर-कर्म किया जाता है । इसी समय शिखा रखने का भी विधान है। मुण्डन होने के बाद शुद्ध जल से बालक को स्नान कराकर उसके शरीर को विविध सुगन्धित द्रव्यों से अनुलिप्त कर अलंकरणों से अलंकृत किया जाता है । सुस्नात, गन्धानुलिप्त तथा समलंकृत शिशु गुनियों एवं सभी को नमस्कार करता है। उस बालक को भाई-बन्धु आशीर्वाद भी देते हैं। इस क्रिया में पुण्याहभंगल किया जाता है और यह चौल क्रिया के नाम से प्रसिद्ध है। इस क्रिया में समाकृत लोग सहर्ष प्रवृत्त होते हैं । इस क्रिया का विशेष मंत्र यह है-'उपनयनमुण्डभागी भव, निर्ग्रन्थमुण्डभागी भव, निष्क्रान्तिमुण्डभागी भव, परमनिस्तारककेशभागी भव, परमेन्द्रकेशभागी सव, परमराज्यकेशभागी भव, आर्हन्त्यराज्यकेशभागी भव । ' १. महा ३८।६६-७६; तुलनीय-गोभिलगृह्य सूत्र २।८।१६-२०; शांखायनगृह्यसूत्र १।२५।१०-११; बौधायनगृह्यसूत्र ३।७।१-२ २. महा १०।१४३-१४६ ३. केवापस्तु केशानां शुभेऽन्हि व्यपरोपणम् । क्रियास्याभादृतो लोको यतते परया मुदा ।। महा ३८१६८।१०१; तुलनीय-आश्वलायनगृह्य सूत्र १७।१-१८; आपस्तम्बगृह्यसूत्र १६॥३-१८; पारस्करगृह्यसूत्र १।२; हिरण्यकेशिनगृह्य सूत्र २।१६।१-१५; मनु २।३५ ४. महा ४०११४७-१५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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