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- वही आदर्श जीवन है वही सच्चा जैन-जीवन है, जिसके कण-कण और क्षण-क्षण में धर्म की साधना झलकती हो। धर्ममय जीवन के आदर्शों का यह भव्य चित्र प्रस्तुत है- 'जैन जीवन' में।
जैन-जीवन
जैन भूख से कम खाता है। जैन बहुत कम बोलता है। जैन व्यर्थ नहीं हँसता है। जैन बड़ों की आज्ञा मानता है। जैन सदा उद्यमशील रहता है।
जैन गरीबों से नहीं शर्माता। जैन वैभव पाकर नहीं अकड़ता। जैन किसी पर नहीं झुंझलाता। जैन किसी से छल-कपट नहीं करता। जैन सत्य के समर्थन में किसी से नहीं डरता।
जैन हृदय से उदार होता है। जैन हित-मित-मधुर बोलता है। जैन संकट-काल में हँसता है। जैन अभ्युदय में भी नम्र रहता है।
जैनत्व की झांकी (88) Jain Education International
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