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उसके हृदय की गहराई में, शक्ति और शान्ति का अक्षय भण्डार है, धैर्य और शौर्य का प्रबल प्रवाह है, श्रद्धा और निर्दोष भक्ति की मधुर झंकार है।
धन वैभव से जैन कौन खरीद सकता है ? धमकियों से उसे कौन डरा सकता है ? और खुशामद से भी कौन जीत सकता है ? कोई नहीं, कोई नहीं ! सिद्धांत के लिए काम पड़े तो वह पल-भर में, स्वर्ग के साम्राज्य को भी ठोकर मार सकता है।
जैन के त्याग में, दिव्य-जीवन की सुगन्ध है ! आत्म-कल्याण और विश्व-कल्याण का विलक्षण मेल है ! जैन की शक्ति, संहार के लिए नहीं है ! वह तो अशक्तों को शक्ति देती है, शुभ की स्थापना करती है, और अशुभ का नाश करती है। सच्चा जैन पवित्रता और स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए, मृत्यु को भी सहर्ष सानन्द निमन्त्रण देता है। जैन जीता है, आत्मा के पूर्ण वैभव में, और मरता भी है वह, आत्मा के पूर्ण वैभव में !
जैन की गरीबी में सन्तोष की छाया है ! जैन की अमीरी में गरीबों का हिस्सा है !
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