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'जैनकोई जाति नहीं, धर्म है। जैन धर्म के सिद्धान्तों में जो दृढ़ विश्वास रखता है और उनके अनुसार आचरण करता है, वही सच्चा 'जैन' कहलाता है। जैन का जीवन किस प्रकार आदर्श होना चाहिए, यह प्रस्तुत प्रकरण में दिखाया गया है।
आदर्शजैन
जो सकल विश्व की शान्ति चाहता है, सबको प्रेम और स्नेह की आँखों से देखता है, वही सच्चा जैन है।
जो शान्ति का मधुर संगीत सुनाकर, सबको ज्ञान का प्रकाश दिखलाता है, कर्तव्य-वीरता का डंका बजाकर, प्रेम की सुगन्ध फैलाता हैं, अज्ञान और मोह की निद्रा से सबको बचाता है, वही सच्चा जैन है।
ज्ञान, चेतना की गंगा बहाने वाला, मधुरता की जीवित मूर्ति, कर्तव्य-क्षेत्र का अविचल वीर योद्धा, वही सच्चा जैन है !
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