SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवान् नेमिनाथ करुणा के अवतार माने जाते हैं। राजकुमारी राजुल को व्याहने को जाते हुए एक करुणा की लहर उनके हृदय में मचल उठी, और उससे प्रेरित होकर वे तोरण से ही वापस लौट गये। जीव-दया के निमित्त जिसने अपने यौवनकी समस्त इच्छा और उमंगों का बलिदान कर दिया, उस करुणामूर्ति का यह जीवनवृत्त पढ़िए। भगवान्नेमिनाथ बात उस पुरातन युग की है, जब कि भारत के क्षितिज पर यादव जाति का सितारा चमक रहा था। यह यादव-जाति की राष्ट्रीय क्रांति थी कि कला, उद्योग और व्यवसाय की उन्नति से राष्ट्र में चारों ओर खुशहाली फैल रही थी, और जन-जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि की वीणा के हजारों तार एक साथ झंकृत हो रहे थे। ___भारत के तत्कालीन इतिहास पर दृष्टि डालते हैं, तो इसी महान यादव जाति के दो महापुरुष एक साथ भारत के क्षितिज पा चमकते दिखाई देते हैं। एक हैं अध्यात्म के क्षितिज पर जगमगा सूर्य, करुणा के पूँज भगवान नेमिनाथ और दूसरे हैं राजनीति क आकाश में प्रकाशमान ज्योतिर्धर वासुदेव श्रीकृष्ण। हम आपको यहाँ भगवान नेमिनाथ का परिचय देना चाहते हैं। भगवान नेमिनाथ (अरिष्टनेमि) जैन धर्म के बाईसवें तीर्थकर हैं। उनका जन्म शौरीपुर (वर्तमान आगरा जिला में यमुना तट पर आज के बटेश्वर के पास) के राजा समुद्रविजय के घर हुआ। माता का नाम शिवा देवी था। अरिष्टनेमि के जन्म से पहले समुद्रविजय के सबसे छोटे भाई वासुदेव के घर श्री कृष्ण का जन्म हो चुका था। - - - - जैनत्व की झाँकी (22) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001349
Book TitleJainatva ki Zaki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1998
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy