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व्यक्ति-पूजा या गुण पूजा ? ____ जैन धर्म व्यक्ति-पूजक धर्म नहीं हैं, गुण-पूजक धर्म है। इसलिए वह केवल अपने सम्प्रदाय के ही वीतराग आत्माओं को भगवान मानता हो, यह बात नहीं है। विश्व की जो भी आत्माएँ राग-द्वेष को पूर्ण रुप से जीत कर, क्षय कर सदाकाल के लिए बन्धन-मुक्त हो जाते हैं। वे जिन भगवान हो जाते हैं। इसलिए जैन धर्म वीतराग होने पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम तथा महाबली श्री हनुमान आदि महापुरुषों को भगवान् मानता है।
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Jain Eजैनस्य की जाँकी
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