________________
रखा जाए, तभी वह पढ़ लिख कर विद्वान् हो सकता है। अनेकान्तवाद के द्वारा किया जाने वाला यह समन्वय ही, वस्तुतः जनता को सत्य का प्रकाश दिखला सकता है।
विचारों के भंवरलाल में आज मनुष्य की बुद्धि फँस रही है। एकान्तवाद का आग्रह लिख वह किसी भी समस्या का समाधान नहीं पा रहा है। समस्या का समाधान पाने के लिए उसे जैन-दर्शन के इस अनेकान्तवाद अर्थात् समन्वयवाद को समझना होगा।
000
-
-
--
Jain जन
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org