________________
किसी पर अन्याय होते देखकर खुश होना हिंसा है। शक्ति होने पर भी अन्याय को न रोकना हिंसा है। आलस्य और प्रमाद में निष्क्रिय पड़े रहना हिंसा है। अवसर आने पर भी सत्कर्म से जी चुराना हिंसा है।
बिना बाँटे अकेले खाना हिंसा है। इन्द्रियों का गुलाम रहना हिंसा है। दबे हुए कलह को उखाड़ना हिंसा है। किसी की गुप्त बात को प्रकट करना हिंसा है।
किसी को नीच–अछूत समझना हिंसा है। शक्ति होते हुए भी सेवा न करना हिंसा है। बड़ों की विनय-भक्ति न करना हिंसा है। छोटों से स्नेह, सद्भाव न रखना हिंसा है।
ठीक समय पर अपना फर्ज अदा न करना हिंसा है। सच्ची बात को किसी बुरे संकल्प से छिपाना हिंसा है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
हिं
(103)ibrary.org