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भोजन के लिए जीवन नहीं, किन्तु जीवन के लिए भोजन है। धन के लिए जीवन नहीं, किन्तु जीवन के लिए धन है। धन से जितना अधिक मोह, उतना ही पतन । धन से जितना कम मोह, उतना ही उत्थान ।
जैनत्व की झांकी (92)
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