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बिना परोपकार के जीवन निरर्थक है। बिना परोपकार के दिन निरर्थक है। जहाँ परोपकार नहीं, वहाँ मनुष्यत्व नहीं। जहाँ परोपकार नहीं, वहाँ धर्म नहीं। परोपकार की जड़ कोमल हृदय है। परोपकार का फल विश्व-अभय है। परोपकार कल करना हो, तो आज करो। परोपकार आज करना हो, तो अब करो।
बिना धन के भी परोपकार हो सकता है। किन्तु बिना मन के परोपकार नही हो सकता।
धन का मोह परोपकार नहीं होने देता। शरीर का मोह परोपकार नहीं होने देता।
परोपकार करने के लिए जो धनी होने की राह देखें, वह मूर्ख हैं। बदले की आशा से जो परोपकार करे, वह मूर्ख है। बिना स्नेह और प्रेम के जो परोपकार करे, वह मूर्ख है।
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