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________________ विवेक से उठो विवेक से चलो। विवेक से बोलो। विवेक से खाओ। विवेक से सब काम करो । पहनने ओढ़ने में मर्यादा रखो। घूमने-फिरने में मर्यादा रखो । सोने-बैठने में मर्यादा रखो। बड़े-छोटो की मर्यादा रखो । मन से दूसरे का भला चाहना, परोपकार है । वचन से दूसरे को हित- शिक्षा देना परोपकार है । शरीर से दूसरे की सहायता करना, परोपकार है । धन से किसी का दुःख दूर करना परोपकार है । भूखे-प्यासे को सन्तुष्ट करना, परोपकार है। भूले हुए को मार्ग बताना, परोपकार है। अज्ञानी को ज्ञान देना, या दिलाना परोपकार है। ज्ञान के साधन विद्यालय आदि खोलना, परोपकार है। लोक-हित के कार्यों में सहर्ष सहयोग देना, परोपकार है । 0 Jain E जैनट की झांकी (00) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001349
Book TitleJainatva ki Zaki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1998
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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