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( ५ )
नर - कलेवर पाकर क्या किया ?
तन- धन स्व सहर्ष लुटा दिया,
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परहितार्थ निजार्थ भुला दिया ।
जगत - जन्म कृतार्थ कहा दिया । ( ६ )
विबुध क्यों जगती - तल में बड़ा ?
सदुपदेश सदा करता कड़ा ।
मृत स्वदेश जिला करता खड़ा
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विकट संकट में रहता अड़ा । ( ७ )
किस प्रकार विराग विचारना ? -
स्वजन वैभव बुदबुद - व्यंजना,
मनुज जीवन विद्युत - चाँदनो,
जगत स्वप्न अथेति प्रवंचना | ( 5 )
गुरु गिरा किसकी श्रवणीय है ?
चरित चारु समाचरणीय है ।
विमल बोध समादरणीय है,
तप व त्याग
चिरस्मरणीय है ।
खेतड़ी पर्वत, १९३६
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