SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मनुष्य की संकल्प-शक्ति % 3D ग्वाल बाल भयभीत हो गए कि अब यह बच नहीं सकेगा । बात यह है कि जब मनुष्य के अपने मन में भय होता है तब सृष्टि में सर्वत्र उसे भय ही भय नजर आता है । जब अपने मन में क्रोध होता है तो उसे सर्वत्र क्रोध ही दिखाई देता है और जब अपने मन में शान्ति होती है, तो सर्वत्र उसे शान्त वातावरण ही मिलता है । आश्चर्य है, मनुष्य सर्प से भयभीत होता है, क्योंकि वह जहरीला होता है, और उसके डसने से मनुष्य की मृत्यु हो जाती है, किन्तु मनुष्य यह नहीं सोचता, कि उसके मन में रहने वाला क्रोध का सर्प बाहर के सर्प से भी अधिक जहरीला और भयंकर होता है । भगवान महावीर ने अपने मन के अमृत से, चण्डकौशिक सर्प के मन के विष को दूर कर दिया । फलस्वरूप उस चण्डकौशिक ने देवत्व प्राप्त कर लिया और यह कथा आस-पास सर्वत्र फैल गई । तभी लोगों ने समझा कि यह सब चमत्कार उस अमृत योगी संत का ही है । मैं आपसे कहता हूँ, कि बाहर के सर्प से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है, आपके मन का सर्प ही अधिक भयंकर और जहरीला होता है । रावण भयंकर इसीलिए था, कि उसके अन्दर का रावण भयंकर था, चण्डकौशिक भी इसीलिए भयंकर था, कि उसके अन्दर का मन भयंकर था । एक ही बात याद रखिए, अन्दर की ज्योति जगमगाने पर ही बाहर का जीवन ज्योतिर्मय बन सकेगा । मन को जीतने पर सभी कुछ जीता जा सकेगा । १७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001344
Book TitleSamaj aur Sanskruti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy