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श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसप्ताध्यायीसूत्राणामकाराद्यनुक्रमः । १२९
दयायास्कासः | ३|४|४७ || दरिद्रोऽद्यन्यां वा | ४ | ३ |७६ || दर्भकृष्णाग्निशर्म - त्स्ये | ६ | १|१५७||
दशनावोंदै-थम् ||४|२|५४|| दशैकादशादिकश्च |६|४|३६||
वैंश- चात्वारिंशम् |६|४|१७४||
त्व गुणः | ३ |२|५९||
त्वमहं कः | २|१|१२|| त्वमौ प्र-न् |२|१|११||
त्वे |२|४|१००||
त्वेवा |६|१|२६||
थे वा |४|१|२९||
थो न्थ् | १|४|७८|| दंशसञ्जः शवि | ४ | २|४९|| दंशेस्तृतीया | ५ |४| ७३ ॥ दंशेत्रः ||५|२|९०|| दक्षिणाकडङ्गर-यौ |६|४|१८१||
दक्षिणापश्चात्य |६|३|१३|| दक्षिणेर्मा व्यायोगे | ७|३|१४३|| दक्षिणोत्तराच्चातस् |७|२|११७|| दगुकोशल- दिः | ६ | १|१०८|| दण्डादेर्यः |६|४|१७८|| दण्डहस्ति ने | ७|४|४५|| दत् |४|४|१०||
दन इक | ६ | २|१४३।।। दध्यस्थि-न् |१|४|६३॥ दध्युर: स-लेः | ७|३|१७२ ।।
दन्तपादना-वा | २|१|१०१ ||
दन्तादुन्नतात् |७|२|४०||
दम्भः |४|१|२८||
दम्भो धिप्पू | ४|१|१८||
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दवाङ: १५/१/७८||
दस्ति | ३|२|८८|| दागोऽस्वास्यप्रसार० |३|३|५३||
दा- ट्धेसिशद-रुः |५|२|३६|| दण्डाजिनि-कम् | ७|१|१७१।। दामः संप्रदा-च | २२|५२|| दामन्यादेरीयः |७|३|६७|| दाम्नः | २|४|१० ॥ दाश्वत्साह्वन्मीढ्वत् । ४|१|१५|| दिक्पूर्वपदानाम्नः | ६ |३|२३|| दिक्पूर्वात्तौ |६|३|७१ || दिक्शब्दात्तीर-र | ३|२|१४२|| दिक्शब्दा- म्याः | ७|२|११३॥ दिगधिकं संज्ञा दे | ३|१|९८| दिगादिदेहांशाद्यः |६|३|१२४||
दितेश्चैयण् वा |६|१|६९|| दिघुद्ददृज्ज -पः | ५|२|८३|| दिव औ: सौ | २|१|११७|| दिवस दिवः - वा | ३ | २|४५|| दिवादेः श्यः | ३ | ४ |७२|| दिवो द्यावा | ३ |२| ४४|
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