________________
भारतीय दर्शन के विशेष सिद्धान्त
ब्रह्मवाद और मायावाद :
वेदान्त दर्शन भारत का मुख्य दर्शन माना जाता है। मीमांसा दर्शन कर्म पर बल देता है, तो वेदान्त ज्ञान पर । पूर्व-मीमांसा कर्मकाण्ड कहा जाता है, ओर उत्तर-मीमांसा ज्ञान- काण्ड ! वेदान्त दर्शन में आचार्य शंकर का ब्रह्मवाद और मायावाद विशेष प्रसिद्ध है । ब्रह्मवाद और मायावाद की जो व्याख्या आचार्य शंकर ने अपने अद्वैतवाद के आधार पर की है, उसे आचार्य शंकर के परवर्ती आचार्य मान्य नहीं करते । उन्होंने ब्रह्म और माया की व्याख्या अपने ढंग से की है । किन्तु अद्वैतवाद में ब्रह्म और माया की जो व्याख्या आचार्य शंकर ने की है, वस्तुतः मुख्य वेदान्त - दर्शन वही है ।
Jain Education International
११६
ब्रह्मवाद :
आचार्य शंकर ने ब्रह्म के वास्तविक स्वरूप का निर्णय करने के लिए दो प्रकार के लक्षणों को स्वीकार किया है - स्वरूप- लक्षण और तटस्थलक्षण । स्वरूप लक्षण पदार्थ- सत्य तात्त्विक रूप का परिचय देता है, परन्तु तटस्थ-लक्षण कुछ देर तक होने वाले आगन्तुक गुणों का ही निर्देश करता है । जैसे— कोई ब्राह्मण किसी नाटक में एक क्षत्रिय राजा की भूमिका ग्रहण कर रंगमंच पर आता है, जहां वह अपने शत्रुओं को पराजित करके विजेता बनता है, और अपनी प्रजा का अनुरंजन भी करता है । परन्तु इस ब्राह्मण के सत्य-स्वरूप का निर्णय करने के लिए क्या उसे राजा कहना उचित है ? वह राजा अवश्य है, परन्तु कब तक ? जब तक नाटक चलता रहता है । नाटक समाप्त होते ही, वह अपने विशुद्ध रूप में आ जाता है । इस रूपक के आधार पर वेदान्त दर्शन कहता है, कि उस व्यक्ति को क्षत्रिय राजा मानना तटस्थ लक्षण है, और उसे ब्राह्मण मानना स्वरूप लक्षण है । तटस्थ लक्षण क्षण होता है, और स्वरूप लक्षण शाश्वत । इस प्रकार वेदान्त दर्शन में ब्रह्म के स्वरूप का प्रतिपादन किया गया है । ब्रह्म जगत की उत्पत्ति, स्थिति और लय का कारण है । ब्रह्म सत्, चित् एवं आनन्द रूप है । यही ब्रह्म का स्वरूप लक्षण है । परन्तु यही ब्रह्म माया - अवच्छिन्न होने पर सगुण ब्रह्म, अपर-ब्रह्म अथवा ईश्वर कहा जाता है, जो इस जगत की उत्पत्ति, स्थिति और विलय का कारण होता है । ब्रह्म के दो रूप होते हैं - सगुण ब्रह्म तथा निर्गुण ब्रह्म । दोनों एक ही है, परन्तु दृष्टिकोण की भिन्नता से दो रूपों में गृहीत किए जाते हैं । जिस प्रकार संसार के पदार्थ
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org