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८८ अध्यात्म-प्रवचन टीकाएँ। नियुक्ति और भाष्य पद्यमय होते हैं। चूर्णि गद्य-पद्यमय और टीका गधमय हैं। मूल आगमों के गहन-गम्भीर भावों को समझने के लिए नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि और टीकाओं का अध्ययन आवश्यक माना गया है। तभी यथार्थ अर्थ होता है। नियुक्ति अथवा निरुक्तिः ___दोनों का एक ही अर्थ है-शब्द की व्युत्पत्ति करके उसके संभवित सभी अर्थों का कथन करना। उसके अधिक से अधिक अर्थ करना। कम से कम चार अर्थ तो अवश्य ही करना चाहिए। इस प्रक्रिया को निक्षेप कहा गया है। नियुक्ति और निक्षेपः
नियुक्ति आगमों की प्रथम व्याख्या है। नियुक्तिकार आचार्य भद्रबाहु हैं। वर्तमान में १०-१२ आगमों पर नियुक्ति व्याख्या उपलब्ध हैं। इनमें आगमों के शब्दों की निरुक्ति की है, और निक्षेप के आधार पर, अथवा निक्षेप पद्धति से शब्दों के अर्थ किए गए हैं। मूल सूत्रों में जो अर्थ सुप्त हैं, उनको जागृत किया गया है। शब्दों का अर्थ विस्तार बिना निक्षेप के सम्भव नहीं है। किस प्रसंग पर, किस शब्द का क्या अर्थ हो सकता है? और उसका प्रयोग कैसे किया जाता है? यही नियुक्तियों का मुख्य विषय रहा है। नियुक्ति, नि!हणा तथा निरुक्ति एवं निरुक्त-ये समानार्थक शब्द रहे हैं। निक्षेप पद्धति का अभिप्राय है,शब्दों के अर्थ का विस्तार तथा संकोच।
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