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________________ सम्यक् दर्शनः सत्य-दृष्टि | १५६ तथा विष के लवण-सागर से अमृत के क्षीर-सागर की ओर गतिशील एवं अग्रसर हो सकता है । सम्यक् दर्शन के दिव्य प्रकाश से ही यह आत्मा जड़ और चेतन के भेद को समझ कर, जड़ की अपेक्षा चेतन के मूल्य का अधिक अंकन कर सकता है। दुनिया भर के अध्यात्मशास्त्र, दुनिया भर के गुरु और दुनिया भर के पोथी-पन्ने आपको एक ही बात कहते हैं-कि सत्य का दर्शन करो, सत्य को ग्रहण करो। सत्य पाया तो सब कुछ पा लिया । यदि सत्य नहीं मिला तो कुछ भी नहीं मिला । यदि अपनी अध्यात्म-साधना में अग्रसर होते हुए अपने जीवन के पचास-साठ वसन्त भी पार कर दिए, किन्तु जीवन के धरातल पर सत्य का वसन्त नहीं उतरा, तो कुछ भी नहीं पाया । अध्यात्मसाधना का कुछ भी लाभ नहीं उठाया गया। सम्यक दर्शन आत्मा की एक वह शक्ति है, जो जीवन को भोग से योग की ओर तथा विष से अमृत की ओर ले जाती है । सम्यक् दर्शन जीवन के तथ्य को देखने एवं परखने को एक अद्भुत कसौटी है। सम्यक दर्शन एक वह ज्योति है, जिससे अन्दर और बाहर दोनों ओर प्रकाश पड़ता है। सम्यक दर्शन एक वह निर्मल धारा है, जिसमें निमज्जित होकर साधक अपने मन के मैल को धो डालता है। सम्यकदर्शन को पाकर फिर जो कुछ पाना शेष रह जाता है, उसे पाने के लिए आत्मा को मूलतः किसी और अधिक तैय्यारी की क्या आवश्यकता रहती है ? सम्यक दर्शन के देवता का प्रसाद मिलने पर फिर अन्य किसी देवता के प्रसाद की 'भिक्षा क्यों चाहिए ? सम्यक् दर्शन के क्षायिक विकास से ही अन्ततः भव के बन्धनों का अभाव होता है। परम पवित्र क्षायिक सम्यक दर्शन से ही आचार की पवित्रता के शिखर पर पहुँच कर पूर्ण सिद्धि एवं मुक्ति की उपलब्धि होती है। अतीत काल में जिस किसी भी साधक ने मोक्ष प्राप्त किया है, उसका मूल आधार सम्यक दर्शन हो रहा है और भविष्य में भी कोई साधक मुक्ति प्राप्त करेगा, उसका भी मूल आधारं सम्यक दर्शन ही रहेगा। हमारे जीवन के आदि में भी सम्यक दर्शन हो, मध्य में भी सम्यक दर्शन हो और अन्त में भी -सम्यक् दर्शन हो, तभी हमारा जीवन मंगलमय होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001337
Book TitleAdhyatma Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1991
Total Pages380
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size17 MB
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