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________________ आनन्द का अक्षय स्त्रोत Jain Education International विश्व एक पहेली I इस विराट विश्व की व्यवस्था का मूल आधार है - सत् अर्थात् सत्ता' इसके अनेकानेक महत्वपूर्ण अंश मानवबुद्धि के द्वारा परिज्ञात हो चुके हैं, फिर भी मानव का तर्कशील मस्तिष्क अभी तक विश्व के अनन्त रहस्यों का ठीक तरह उद्घाटन नहीं कर पाया है, न इसकी विराट्शक्ति का कोई एक निश्चित माप ही ले सका है। विश्व की सूक्ष्मतम सीमाओं की खोज में, उसकी अज्ञातअतल गहराइयों को जानने की दिशा में मानव अनादिकाल से प्रयत्न करता आ रहा है । उसे एक सर्वथा अज्ञात रहस्य मानकर, अथवा अनावश्यक प्रपंच समझ कर वह कभी चुप होकर नहीं बैठा है । शोध की प्रक्रिया निरन्तर चालू रही है ! इसी अज्ञात को ज्ञात करने की धुन में विज्ञान के चरण अनवरत आगे बढ़ते रहे हैं, और वह अनेकानेक अद्भुत रहस्यों को, रहस्य की सीमा में से बाहर निकाल भी लाया है । फिर भी अभी तक निर्णयात्मक रूप से यह नहीं कहा जा सका है कि - विश्व का यह अभिव्यक्त मानचित्र अन्तिम है । इसकी यह इयत्ता है, आगे और कुछ नहीं है । " सचमुच ही सर्व साधारण जनसमाज के लिए विश्व एक पहेली है, जो कितनी ही बार बूझी जाकर भी अनबूझी ही रह जाती है । एक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001336
Book TitleVishwajyoti Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherVeerayatan
Publication Year2002
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Sermon
File Size5 MB
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