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________________ पर्युषण-प्रवचन श्रावक राजगृह में निवास करते थे, और विशेषता तो यह थी कि बल और वैभव का इतना अखाड़ा होते हुए भी राजगृह के श्रद्धाजनों की धर्म-निष्ठा और नैतिकता बड़ी ही प्रशंसनीय थी, राजगृह का पुरुष वर्ग ही नहीं, किन्तु नारी समाज भी विशेष जागृत था, जयंती और रेवती जैसी तत्वज्ञ और तार्किक नारियाँ भी राजगृह की देन हैं । जैन और बौद्ध शास्त्र एवं वर्तमान में उपलब्ध अनेक ऐतिहासिक सामग्रियों के आधार पर हम कह सकते हैं कि राजगृह उस समय के भारत की प्रमुख नगरी थी, जिसका राजनीति, व्यापार, संस्कृति, शिक्षा, धर्म, दर्शन आदि प्रत्येक दृष्टि से विशेष महत्व था । समवशरण राजगृह के इन्हीं धन-कुबेरों में से एक था सुदर्शन । भगवान महावीर का परम भक्त ! उठती हुई जवानी में त्याग और वैराग्य का अद्भुत सामञ्जस्य था । उसकी धमनियों में महावीर का रक्त बहता था, बड़ा दृढ़ श्रद्धालु ! बड़ा ही निर्भीक था वह ! एक दिन आकाश में देव दुंदभियाँ बज उठीं, हजारों लाखों देवताओं के विमान सीधे राजगृह के गुणशील चैत्य में जाकर रुकने लगे, और देवी देवताओं का अपार झुण्ड भगवान् महावीर के चरणों में जाकर धर्म देशना सुनने को लालायित हो रहा था । भगवान महावीर का समवशरण आज राजगृह में लगा था, किन्तु आज एक भी नागरिक भगवान के दर्शन करने को नहीं पहुँचा । भगवान के आगमन का संवाद सुनकर राजगृह का बच्चा-बच्चा घर से गुणशील चैत्य की ओर निकल पड़ता था, असंख्य नर-नारियों का झुंड खुशियाँ और बधाइयाँ बाँटता हुआ समवशरण की ओर पानी की तरह बहता था. वहाँ आज सभी घर के घरोंदों से बाहर निकलते ही घबरा रहे थे, कोई साहस करके थोड़ी दूर चल पड़ता तो वापिस कलेजा धक-धक कर उठता, और मन मसोस कर लौट आता । राजगृह भर में अर्जुन माली का आतंक था, उसके नाम से ही लोग कांप रहे थे । अंधेरे में उसकी छाया को दिखाकर माताएँ बच्चों को डराती थीं । बात यह थी कि राजगृह के बाहर अर्जुन नाम का एक माली रहता था, शरीर से बड़ा हृष्ट-पुष्ट था, उसका एक बगीचा था, जिसमें सब ऋतुओं के नाना फल-फूल होते थे, सुन्दर और सुगन्धित फूलों से उसका ११४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001335
Book TitleParyushan Pravachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Paryushan
File Size11 MB
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