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________________ पदकदिसंखेण भाजिदे पचयमे विदु प्रचयमक्कं । गच्छउत्तरधन दिदुत्तरधनमक्कुं ०२११-१ २१।३।२ ५६८ ५५२ ५३६ कर्णाटवृत्ति जीवतत्वप्रदीपिका ५२० ५०४ ४८८ ४७२ ४५६ eme २११।२११ । १ मक्कुं २११ १२ चरमसमय धनर्मतिक्कुर्म बोडादिधनदो रूपोनगच्छमात्र २११।१२११।२ Jain Education International १२६९ अपर्वात्ततोत्तरषनमिदु २११ - १ । ११ २११।२११ । १ । २ चयघणहोणं दव्यं पदभजिदे होदि आदिपरिमाण में विधु प्रथम समपधन येक पवार्द्धनचयगुणो तद्धनं ४०९६ । पदकदिसंखेण भाजिदे पचयं ४०९६ । लब्धं १६ । व्येकपदार्धनचयगुणो ८ । ८ । ४ 2 गच्छ उत्तरधनं ८ । १६ । ८ लब्धं ४४८ । चयवणहोणं दव्वं पदभजिदे होदि आदि २ चणहोणं दव्वं पदभजिदे होदि आदिपरिमाणं - ०२११ । १ । २ २११ । २१ । १ ।२ परिमाणं ३६४८ । लब्धं ४५६ आदिम्मि चये नड्ढे पडिसमयवणं तु भावाणमिति । ८ अर्थसंदृष्टो घनं पदकदिसंखेण भाजिदे पचयं २११।२११।३ ये पदार्धनचयगुणो गच्छ उत्तरधनं २ १ १ २११ अपवर्तितं = ०२११-१ २११।२११ । १ ।२ २११।१।२ जिन जीवोंको अपूर्वकरण करे पहला समय है उन अनेक जीवोंके परिणाम समान भी होते हैं और असमान भी होते हैं । परन्तु जिनको अपूर्वकरण करे द्वितीयादि समय हुए हैं उनके परिणामों में कभी भी समानता नहीं होती। इसी प्रकार जिनको अपूर्वकरण करे द्वितीयादि समय हुआ है उनके परस्पर में समानता भी होती है और असमानता भी होती है, किन्तु ऊपरके तथा नीचेके समयवालोंके साथ परिणामोंकी असमानता ही होती है । १५ इसीसे इसका नाम अपूर्वकरण है । प्रति समय अपूर्व - अपूर्व - जो पहले नहीं हुए ऐसे परिणाम होते हैं । वहाँ सर्वधन चार हजार छियानबे है । तथा करण सूत्र के अनुसार पद या गच्छ आठका वर्ग चौंसठ तथा संख्यातका चिह्न चारसे सर्वधनमें भाग देनेपर चयका प्रमाण सोलह आता है । और दूसरे सूत्र के अनुसार एक कम गच्छके आधे साढ़े तीनको चय सोलह- २० से गुणा करके गच्छ आठसे गुणा करनेपर चार सौ अड़तालीस होते हैं। यही चयधन है । तथा तीसरे सूत्र के अनुसार चयधन चार सौ अड़तालीसको सर्वधन चार हजार छियानबे मेंसे घटानेपर छत्तीस सौ अड़तालीस रहे । उसमें गच्छ आठसे भाग देनेपर चार सौ छप्पन For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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