SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 640
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५ १२६८ गो० कर्मकाण्डे अंतोमुहुत्तमेते पडिसमयमसंख लोग परिणामा | कमउड्ढापुव्वगुणे अणुकड्डी णत्थि नियमेण ॥ ९१० ॥ अंतर्मुहूर्तमात्रे प्रतिसमयमसंख्यलोकपरिणामाः । क्रमवृद्धा अपूर्च्चगुणे अनुकृष्टिर्नास्ति नियमेन ॥ अपूर्खकरण गुणस्थानदोळु अंतर्मुहूर्त कालमक्कु । २१२ । मा कालदो प्रतिसमय मसंख्यातलोकमात्रपरिणामंकळप्पुवादोडं प्रथमसमयं मोदगोंड द्वितीयादिसमयंळोळेल्लं चरमसमयपर्यंतं सदृशचर्यादिदं पेचुंबकीय पूर्वकरणपरिणामंगळोळनुकृष्टि र्यंब भेदमिल्लेके बोडुपरितन परिणामस्थानंगळ मघस्तनसमयपरिणामंगळोडनोरम्नंगळल्ल वर्वारिदं । इल्लि धनमिदु ४०९६ । इदं पदकविसंखेण भाजिदे पचयमेदितु |४०९६ | इदर लब्धं प्रचयं १६ । व्येकपदार्द्धघ्नचय गुणोगच्छ टाटा४ १० उत्तरघनर्म वितु ८ । १६ । ८ लब्धमुत्तरधनमिदु । ४४८ । इनु चयधनहोनं द्रव्थं पद्मभजिते २ भवत्यादिप्रमाणणमेदितु चयधनरहितद्रव्यमिदु ३६४८ । यिदं पर्दाद भागिसिदोडादिप्रमाणमक्कुं | ३६४८ | लब्धमादिधनमिदु । ४५६ ।। आदिम्मि चये उड्ढे पडिसमयघणंतु भावाण में दिदु प्रति ሪ समय धनमक्कुं ५६८ | अर्थसंदृष्टियिदु : |५५२ |५३६ ५२० ५०४ १४८८ ४७२ ४५६ |== २११ १२ ॠ १ २१११।२।२११ Jain Education International ० =२११ १२ २१११।२।२११ तस्या पूर्वकरणस्य कालेंतर्मुहूर्त २ ११ मात्रे प्रतिसमयं परिणामा असंख्यात लोकमात्रा अत्र प्रथम - १५ समयाच्चरमसमयपर्यं तं सदृशचयवृद्धाः सन्ति । तेषु चानुकृष्टिरचना नास्ति । उपरितनपरिणामानामषस्तन परिणामैरसादृश्यात् । उस अपूर्वकरणका काल अन्तर्मुहूर्त मात्र है । उसमें प्रति समय असंख्यात लोक परिणाम होते हैं। वे प्रथम समय से लेकर अन्त समय पर्यन्त समान चयको लिये हुए बढ़ते जाते हैं । यहाँ अनुकृष्टि रचना नहीं है, क्योंकि ऊपर समयके परिणामोंकी नीचेके समयोंके २० परिणामोंके साथ समानता नहीं पायी जाती है। किसी जीवका प्रथम समय में उत्कृष्ट परिणाम हो और किसीका दूसरे समय में जघन्य परिणाम हो, फिर भी उसके उससे अधिकता ही पायी जाती है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy