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सत्व ५
कर्णाटवृत्ति.जीवतत्त्वप्रदोषिका
१०३१ नरकादिगतिगळोळु मदिदं नामबंधस्थानंगळु द्विषडष्टचतुष्कंगळप्पुवु। उदयस्थानंगळ पंचनवैकादशपंचकंगळप्पुवु । सत्वस्थानंगळु त्रिपंचद्वादशचतुष्कंगळप्पुवु यथाक्रमदिदं । संवृष्टि:
नरकगति बंध २ उदय ५ सत्व ३ तिर्यग्गति | बंध ६ उदय ९ मनुष्यगति बंध ८
उदय ११ । सत्व १२ देवगति बंध ४ उदय ५ । सत्व ४ इंद्रियमार्गणयोळु पेन्दपरु:
एगे वियले सयले पण पण अड पंच छक्केगारपणं ।
पण तेरं बंधादी सेसादेसेवि इदि णेयं ॥७११॥ एकेंद्रिये विकले सकले पंच पंचाष्टपंचषट्कैकावश पंच । पंच त्रयोदशबंधावयः शेषादेशेऽपि इति ज्ञेयं ॥
एकेद्रियवोळं विकलत्रयदोळं पंचेंद्रियदोळं क्रमविदं बंधस्थानंगळ पंचपंचाष्ट प्रमितंगळप्पुवु। उदयस्थानंगळुमंत पंचषट्कैकादशप्रमितंगळप्पुवु। सत्वस्थानंगळुमंते पंच पंच त्रयोदश स्थानंग- १. ळप्पुवु । शेषादेश उळिव कायादिमागणेगळोळमी प्रकारविंदमे कथनमरियल्पडुगुं । संदृष्टि
एकद्रिय
बं ५ ।उ५
सत्व ५
विकलेंदिया बं ५
उ६ सत्व ५
पंचेंद्रिय | बं८ उ११ । सत्व १३/ इंतु नरकादिगतिमार्गणेगळोळमेकेंद्रियविकलेंद्रियपंचेंद्रियंगळोळं पेळल्पट्ट बंधोदय सत्वस्थानंगळ संख्यगे विषयस्थानंगळं पेळ्दपरु :
नरकादिगतिष क्रमेण नाम्नो बन्धस्थानानि द्वे षडष्टौ चत्वारि । उदयस्थानानि पंचनवैकादशपंच । सत्त्वस्थानानि त्रीणि पंच द्वादश चत्वारि ॥७१०॥ इन्द्रियमार्गणायामाह
एकेन्द्रिये विकलत्रये पंचेन्द्रिये च क्रमेण बन्धस्थानानि पंचपंचाष्टौ । उदयस्थानानि पंचषडेकादश । सत्त्वस्थानानि पंच पंच त्रयोदश । एवं शेषकायादिमार्गणास्वपि ज्ञातव्यं ॥७११॥ तानि कानीति चेदाह--
नरक आदि गतियोंमें नामकर्मके बन्धस्थान दो, छह, आठ, चार; उदयस्थान पाँच, नौ, ग्यारह, पांच और सत्त्वस्थान तीन, पाँच, बारह, चार क्रमसे जानना ॥७१०॥ इन्द्रियमार्गणामें कहते हैं
_ २० एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय, पंचेन्द्रियमें क्रमसे बन्धस्थान पाँच, पाँच, आठ हैं। उदय- " स्थान पाँच, छह, ग्यारह हैं। सत्त्वस्थान पांच, पाँच, तेरह हैं। इसी प्रकार शेष कायादि मार्गणाओंमें भी जानना ॥७११।।
वे कौन हैं ? यह कहते हैंक-१३०
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