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________________ ५६२ गो० कर्मकाण्डे वनिवृत्तिकरणगुणस्थानदोलु पेळल्पट्ट षोडशाष्टकाविसत्वव्युच्छित्तिगळ क्षपणाविधानरचना। संदृष्टि : १६८ ११ ११ पिल्लि बावरसंज्वलनलोभमनिवृत्तिकरणानवं क्षपियिसल्पटुदेंते दोडे सूक्ष्मकृष्टिकरणमनिवृत्तिकरणनोळक्कुमदरुवयं सूक्ष्मसांपरायनोळक्कुम बी विशेषमरियल्पडगुं। ई क्षपणाविधान५ दोळक्यवंतमप्प पुवेदादिगळ्गोंदु निषेकमा समयकालस्थितियक्कुमरडु निषेकंगळेरडे समय कालस्थितिगप्पुवित्यादि । मत्तमनुदयंगळप्प नपुंसकवेदाविकर्मप्रकृतिगळ क्षपितावशेषोच्छिष्टावलिमात्रनिषेकंगळ्गे परमुखोवयत्वविच समयाधिकावलिमात्रसमयस्थितियक्कुमे ते दोडों निषेक ष्टकादिसत्त्वव्युच्छित्तीनां क्षपणाविधानरचनासंदृष्टिः । १०१ अत्रानिवृत्ति करणे बादरलोभं क्षपयति सूक्ष्मकृष्टीः करोति । ताः कृष्टयः सूक्ष्मसापराये उदयंतीति १० ज्ञातव्यं । अस्मिन् क्षपणाविधाने उदयागतवेदादीनामेकनिषेकः एकसमयस्थितिकः । द्वौ निषेको द्विसमय स्थितिकावैवं क्रमः । अनुदयगतनपुंसकवेदादीनां च क्षपितावशेषोच्छिष्टस्य समयाधिकावलिः स्थितिः स्यात्, क्रमानुसार जानना । ऐसा असहाय पराक्रमके धारी श्री वर्धमान स्वामीने कहा है। यहाँ अनिवृत्तिकरणमें बादर लोभका क्षपण करता है। उस लोभकी सूक्ष्मकृष्टि करता है । वे सूक्ष्मकृष्टियाँ सूक्ष्मसाम्परायमें उदयमें आती हैं ऐसा जानना। इस भपणाविधानमें उदयमें आये पुरुषवेद आदिका एक निषेक तो एक समयकी स्थितिवाला होता है। दो निषेक दो समयकी स्थितिवाले होते हैं। ऐसा क्रम जानना। जिनका उदय नहीं है उन नपुंसकवेद आदिकी क्षयके बाद अवशेष उच्छिष्ट रही सर्वस्थिति एक समय अधिक आवली प्रमाण है क्योंकि वहाँ एक निषेक दो समयकी स्थितिवाला है। दो निषेक तीन समयकी स्थितिवाले हैं इत्यादि क्रम पाया जाता है अतः उच्छिष्टावलीसे एक समय अधिक स्थिति जानना। उदयको अप्राप्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001325
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages698
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Karma, P000, & P040
File Size16 MB
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