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________________ विषय-सूची ५३८ पर्याप्त मनुष्यमें उदयादि त्रिक मानुषीमें उदयादि तीन भोगभूमिज, मनुष्य और तियंचों में देवगतिमें उदयादि तीन अनुदिश आदिमें उदयादि इन्द्रियमागंणामें कथन विकलत्रयमें कथन पंचेन्द्रियोंमें कथन कायमार्गणामें कथन त्रसकाय मार्गणामें कथन योगमार्गणामें कथन अनुभय वचन योगमें कथन औदारिक काययोगमें कथन औदारिक-मिश्रकाययोगमें कथन वैक्रियिक काययोगमें कथन वैक्रियिक-मिश्रकाययोगमें कथन आहारक काययोगमें कथन कार्मणकाययोगमें कथन वेदमार्गणामें कथन पुरुष वेदमें उदयादि स्त्रीवेद और नपुंसकवेदमें क्रोध-कषायमागंणामें अनन्तानुबन्धी रहित क्रोषमें कुमति-कुश्रुत ज्ञानमें विभंगज्ञान में उदयादि पांच सम्यग्ज्ञानों में उदयादि मनःपर्ययज्ञानमें उदयादि केवलज्ञानमें उदयादि संयम मार्गणामें उदयादि परिहारविशुद्धि में उदयादि यथाख्यातमें उदयादि देशसंयम और असंयममें दर्शन मार्गणामें चक्षुदर्शनमें उदयादि अचक्षुदर्शनमें उदयादि अवधिदर्शन-केवलदर्शनमें लेश्या मार्गणामें कृष्ण और नील लेश्यामें ४६५ कपोत लेश्यामें उदयादि ५३० ४६७, तीन शुभ लेश्यामें उदयादि ५३२ ४७० भव्य मार्गणामें उदयादि ४७३ उपशम सम्यक्त्व मार्गणामें ४७५ वेदक सम्यक्व मार्गणामें ५४१ ४७७ क्षायिक सम्यक्त्व मार्गणामें ५४२ ४७८ संशो मार्गणामें उदयादि ५४५ ४७९ असंज्ञीमार्गणामें उदयादि ५४७ ४८१ आहार मार्गणामें उदया दि ५४९ ४८५ अनाहार मार्गणामें उदयादि ५५० ४८६ गुणस्थानों में प्रकृतियों की सत्ता .१५५३ ४८९ क्षायिक सम्यक्त्वको उत्पत्तिका क्रम ५५४ ४९१ अनिवृत्तिकरणमें क्षययोग्य प्रकृतियाँ ५५७ ४९३ अयोगी गुणस्थानमें सत्त्वव्यच्छित्ति ४९६ गुणस्थानोंमें सत्त्वादि तीन ५६१ ४९८ चारित्रमोहनीयकी इक्कीस प्रकृतियोंके उपशमका ४९९ विधान ५६३ ५०० मार्गणाओं में सत्त्वादि तीन ५६५ ५०३ नरकगतिमें सत्ता ५०५ तियंचों में सत्तादि तीन ५०६ मनुष्यों में सत्तादि तीन ५७० ५१० देवगतिमें सत्तादि तीन ५७५ ५१२ इन्द्रिय और कायमार्गणामें सत्तादि तीन ५७७ ५१३ उद्वेलन प्रकृतियाँ ५७९ ५१४ कौन जीव किस प्रकृतिकी उद्वेलना करता है ५७९ ५१५ योगमार्गणामें सत्तादि ५८१ ५१७ औदारिक मिश्रयोगमें सत्तादि ५८३ ५१८ कार्मणकाययोगमें सत्तादि ५८४ ५१९ वेदमार्गणा आदिमें सत्तादि ५८५ ५१९ कषायमार्गणामें सत्तादि ५८६ ५२१ ज्ञानमार्गणामें सत्तादि ५२१ संयममार्गणामें सत्तादि ५८७ ५२२ दर्शनमार्गणामें सत्तादि ५८८ ५२४ लेश्यामार्गणामें सत्तादि ५८८ ५२५ अभव्यमें सत्ता ५२८ सम्यक्त्व मार्गणामें सत्ता ५९२ ५२८ संज्ञो भार्गणामें सत्ता ५२८ बाहार मार्गणामें सत्ता ५९३ ५८६ ५९३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001325
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages698
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Karma, P000, & P040
File Size16 MB
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