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________________ ३७२ गो० कर्मकाण्डे णाणागुणहाणिसला छेदासंखेज्जभागमेत्ताओ। गुणहाणीणद्धाणं सव्वत्थ वि होदि सरिसं तु ।।२४८॥ नानागुणहानिशलाकाः छेदासंख्यातेकभागमात्राः । गणहानीनामध्वानं सर्वत्रापि भवति सदृशं तु ॥ अधस्तनोपरितनोक्त नानागुणहानिशलाकेगळं कूडि छेदासंख्यातेकभागमात्रंगळप्पुवी नानागुणहानिशलाकेगळिदं स्थितियं त्रैराशिकविधानदिदं भागिसुत्तं विरलु प्र छ प ० ३१ इ १ बंद लब्धं गुणहान्यायाममक्कु ० ३१ मीयायाममुभयत्राधस्तनोपरितननानागणहानिगळोळ सदृशं २ छे aa समानं तु नियमदिदं ॥ अण्णोण्णगुणिदरासी पल्लासंखेज्जभागमेत्तं तु । हेट्ठिमरासीदो पुण उवरिल्लमसंखसंगुणिदं ॥२४९।। अन्योन्यगुणितराशिः पल्यासंख्येयभागमात्रस्तु। अधस्तनराशितः पुनरुपरितनोऽसंख्यगणितः॥ ___ता उभयनानागुणहानिशलाका मिलिताश्च्छेदासंख्यातैकभागमान्यः । ताभिः स्थिती भक्तायां प्रछे फ - इ १ लब्धगुणहान्यायामः स्यात् - २ छे ३१ स च अधस्तनोपरितननानागुणहानिषु सदृशः a ०२३१ aaa १५ समानः तु-नियमेन ॥२४८॥ असंख्यातसे भाग दें। एक भागको पृथक रखकर शेष बहुभागके आधा प्रमाण तो नीचेकी नाना गुणहानि जानना । तथा बहुभागका आधा और अलग रखा एक भाग मिलकर ऊपरकी नाना गुणहानि जानना ॥२४७।। यही आगे कहते हैं नीचे और ऊपरकी नाना गुणहानियाँ मिलानेपर पल्यके अर्द्धच्छेदोंके असंख्यातवें भाग हैं। उससे स्थितिमें भाग देनेपर जो प्रमाण आये उतना एक गुणहानि आयामका प्रमाण जानना। जैसे पूर्व में स्थिति बत्तीस कही थी। उसको सर्व नाना गुणहानि आठसे भाग देनेपर चार आये । सो चार एक गुणहानि आयामका प्रमाण है। वैसे ही यहाँ भी जानना । गुणहानि आयामका प्रमाण ऊपरकी गुणहानि और नीचेकी गुणहानिमें समान है। एक-एक ६ गुणहानिमें इतने स्थान होते हैं । इस गुणहानि आयामका दूना प्रमाण दोगुणहानिका प्रमाण है ।।२४८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001325
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages698
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Karma, P000, & P040
File Size16 MB
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