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________________ काँटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका ३७३ अन्योन्यगुणित राशिः अन्योन्याभ्यस्त राशि पल्यासंख्यातेकभागमात्र सामान्यदिदमकुं। तु पुनः मत्ते विशेषदिद अधस्तनराशितः अधस्तनान्योन्याभ्यस्तराशियं नोडलु उपरितनः उपार नान्योन्यायस्तराशि असंख्यसंगुणितः असंख्यातसंगुणितमकुं। अधस्तनान्योन्याभ्यस्तराशि प उपरितनान्योन्याभ्यस्तराशि प इन्तुक्तनवराशिगळगे संदृष्टि : aaa aa. द्रध्य ४ स्थिति ३१ गुणहानि । ३१सामान्यनानागुणहानि छ सामान्यान्योन्याभ्यस्त प aa उपरि छे उपरि अन्योन्याभ्यस्त प ०२ अधस्त छ । अधस्तनान्योन्याभ्यस्त प paal aal? अनंतरं जघन्यपरिगामयोगस्थानस्थितिमोदल्गो उत्कृष्टपरिणामयोगस्थानस्थितिपयंतं प्रति स्थिति पर्याप्तत्रसराशिविभाजिसत्पडुगुमदत दोडे किंगतिगुणहाणिविभजिदे दब्वे दु जवभज्ज्ञ एंदु किंचिदूनत्रिगुणहानियिदं द्रव्यं भागिसल्पडुत्तिरलु लब्धं यवमध्यमक्कु ४। गु ३ मी राशियं दो गुणहानियिद भागिसुत्तं विरलु लब्धं प्रचयप्रमाणमक्कु ४ गु ३ गु २ मी प्रचयमं मत्त दो जन्योन्याभ्यस्त राशिः पल्यासंख्यातकभागमायः सामान्येन भवेत् प तु-पुनः विशेषेण अधस्तनान्योन्या भ्यस्तराशितः प उपरितनान्योन्याभ्यस्त राशिरसंख्यातगुणितः स्यात् प । अथ जघन्यपरिणामयोग- , aaa aa स्थानमादि कृत्वा उत्कृष्टपरिणामयोगस्थानपर्यतेषु स्थितिविकल्पेषु पर्याप्तत्रसराशिविभज्यते तद्यथा ००० नाना गुणहानि प्रमाण दोके अंक रखकर परस्परमें गुणा करनेपर अन्योन्याभ्यस्त शि होती है। जैसे नीचेकी आठ और ऊपरकी बत्तीस अन्योन्याभ्यस्त राशि कही थी वैसे ही सामान्यसे पल्य के असंख्यातवें भाग अन्योन्याभ्यस्त राशि है। तथापि नीचेकी अन्योन्याभ्यस्त राशिसे ऊपरकी अन्योन्याभ्यस्त राशि असंख्यात गुणी है। अब जघन्य परिणाम योगसे लेकर उत्कृष्ट परिणाम योग पर्यन्त योगस्थानोंमें जीवोंका विभाग अंक संदृष्टिकी तरह इस .. प्रकार जानना For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001325
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages698
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Karma, P000, & P040
File Size16 MB
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