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८.२९९
८।२।९९९
कर्णाटवृत्ति जोवतत्त्वप्रदीपिका
२४१ गळ्गे समभागमक्कुमप्पुरिदं। वेदत्रितयादिपंचस्यानंगळोळं प्रत्येक पंचमांशमं स्थापिसि स८ शेषेक भागदोळु स १ प्रतिभागभक्तबहुभागद्रव्यम स८
८।२।९।५ बहुभागो बहुकस्य देय एंदितु वेदत्रितयक्के कोट्टु शेषकभागोळु स. १ प्रतिभागभक्तबहु
८।२।९९ भागमं स०८. रत्यरतिगळिगत्तु शेषेकभागदोळ स०१ प्रतिभागभक्तबहुभागमं
८।२।९९९ स०८ हास्यशोकंगळिगत्तु शेषेकभागवोळु स०१ प्रतिभागभक्तबहुभागमं ५ ८।२।९९९९
८।२।९९९९ स०८ भयनोकषायक्कित्तु शेषैकभागमं स. १ ८।२।९९९९९
. जुगुप्सानोकषायक्कित
८।२ । ९९९९९ कळेवुदंतीवुत्तमिरलु नोकषायपिंडप्रकृतिद्रव्यक्के विभागविशेषमुंटवावुदे दो पेन्दपरु :
तण्णोकषायभागो सबंधपणणोकसायपयडीसु।।
हीणकमो होदि तहा देसे देसावरणदव्वं ॥२०४॥ तन्नोकषायभागः सबंधपंचनोकषायप्रकृतिषु। होनक्रमो भवति तथा देशे देशावरणद्रव्यं ॥ १०
भागः स ३८ वेदत्रये देयः । शेषेकभागे स १ प्रतिभागभक्तबहुभागः स ०८ रत्यरत्योर्देयः । ८२ ९९ ८२९९
८२९९९
शेषकभागे स१ प्रतिभागभक्तबहभागः स८ हास्यशोकयोर्देयः । शेषकभागे स१ ८२९९९ ८२९९९९
८२ ९ ९९९
प्रतिभागभक्तबहुभागः स०८ भये देयः। शेषेकभागं स१ जुगुप्सायां दद्यात् ॥२०३।। ८२९९९९९
८२९९९९९ एवं दत्ते नोकषायपिण्डप्रकृतिद्रव्यस्य विशेषमाह
पाँचों प्रकृतियोंको देवें। शेष एक भागमें प्रतिभागका भाग देकर एक भागको अलग रख १५ बहुभाग तीनों वेदोंमें-से जिसका बन्ध हो उसे देवें। एक भागमें प्रतिभागका भाग देकर बहुभाग रति और अरतिमें-से जिसका बन्ध हो उसे देवें। शेष एक भागमें प्रतिभागका भाग देकर बहुभाग हास्य और शोकमें-से जिसका बन्ध हो उसे देवें । शेष एक भागमें प्रतिभागका भाग देकर बहुभाग भयको देना । शेष एक भाग जुगुप्साको देना। पहले कहे समान पाँच भागोंमें से एक-एकमें पीछे कहा अपना-अपना एक भाग मिलानेपर अपने-अपने द्रव्यका २० प्रमाण होता है ॥२०॥
इस प्रकार देनेपर नोकषायरूप पिण्ड प्रकृतिके द्रव्यमें कुछ विशेष है वह कहते हैंक-३१ For Private & Personal Use Only
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