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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
मि स्थितिबंधविकल्पंगळं । उपरि च आ सूक्ष्मै केंद्रियार्थ्याप्तोत्कृष्ट स्थितिबंधविकल्पानंतरोपरितस्थितिबंधविकल्पं मोवगोंडु बादरापर्य्याप्तोत्कृष्ट स्थितिबंध विकल्पपटर्य्यन्तमिद्दं स्थितिबंधविकल्पंग क्रर्मादिदं । संख्यगुणितक्रमाः आकेळगण शलाकेगळं मेलण शलाकेगळं संख्यातगुणितंगळप्पुवु वा. अ. उ. वा. अ. ज. सर्वयुतिः ई मध्याधस्तनोपरितन सर्व्वA४
२ Λ
शलाकातियुं ७
सू. प. उ.
सु. अ. उ सू. अ. ज. A. P
वर मुन्निनंते केळगेयुं मेगेयुं संखगुणा संख्यातगुणितक्रमंगळप्पुवु वा. अ. उ. सू. अ. उ. सू. अ. ज. वा. अ. ज. स. प. ज. २८ A ४ ^१ Λ २ Λ १४ ^
मत्तमन्ते सूक्ष्मपर्याप्तजघन्यस्थितिबंधविकल्पानन्तरस्थितिबंधविकल्पं मोदगोंडु बादरपर्याप्तजघन्यस्थितिबंधविकल्पपथ्यंत मिर्द्द स्थितिबंधविकल्पंगलं मेले सूक्ष्मपर्याप्तोत्कृष्ट स्थितिबंधविकल्पं मोदगोंडु बादरेकेंद्रिय पर्य्याप्तोत्कृष्ट स्थितिबंधविकल्प पय्यं तमिद्द स्थितिबंधविकल्पंगळं क्रमविद सयुतिय ४९ संख्यातगुणितंगळवु -
बाप उ स प उ वा अ उ सू.अ उ सू अज बा अज सूप ज बाप ज ^ १९६ २८ ४ ^१ २ A १४ ^९८ ^
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जघन्य स्थितिबन्धमादि कृत्वा बादरापर्याप्तक । जघन्यस्थितिबन्धपर्यन्तविकल्पसम्बन्धिन्योऽधस्तनशलाकाः 'उवरि च सूक्ष्मापर्याप्तकोत्कृष्टानन्त रोपरितनस्थितिबन्धमादि कृत्वा बादरापर्याप्तकोत्कृष्टस्थितिबन्धपर्यन्तविकल्पसम्बन्धिन्य उपरितनशलाकारच ं 'संखगुणिदकमा' संख्यातेन अङ्कसंदृष्ट्या द्वयङ्केन गुणितक्रमा भवन्ति ४१२ 'सव्वजुदी' सर्वयुतः तदुक्तक- द्विचतुःशलाकायुतैः सप्तभ्यः सकाशात् 'हेट्ठा' बादरापर्याप्तकजघन्यानन्तर स्थितिबन्धमादि कृत्वा सूक्ष्मपर्याप्तकजघन्यस्थितिबन्धपर्यन्त विकल्पसम्बन्धिन्योऽवस्तनशलाका: उवरि बादरापर्याप्तकोत्कृष्टानन्तरस्थितिबन्धमादि कृत्वा सूक्ष्मपर्याप्तकोत्कृष्ट स्थितिबन्धपर्यन्त विकल्पसम्बन्धिन्य उपरितनशलाकाश्च प्राग्वत् संख्यातगुणितक्रमा भवन्ति २८४APARA जघन्यस्थितिबन्ध पर्यन्त स्थितिके भेद सम्बन्धी अधस्तन शलाका उन शलाकाओं से संख्यात गुणी हैं। और ऊपर सूक्ष्म अपर्याप्तककी उत्कृष्टस्थितिके अनन्तर स्थितिबन्धसे लेकर २० बादर अपर्याप्त के उत्कृष्ट स्थितिबन्ध पर्यन्त स्थितिके भेद सम्बन्धी ऊपरकी शलाका उनसे संख्यात गुणी है । इस प्रकार संख्यातगुणा अनुक्रम कहा । सो संख्यातका प्रमाण तो यथायोग्य है । परन्तु यहाँ समझने के लिए संख्यातका चिह्न दोका अंक जानना । सो एकसे दूना दो होता है, सो नीचे दो शलाका और उससे दुगुना चार, सो ऊपर चार शलाका जानना ४०१८२ इन सबको जोड़नेपर जो प्रमाण हो उससे नीचे बादर २५ अपर्याप्त के जघन्य स्थितिबन्धके अनन्तर भेदसे लेकर सूक्ष्म पर्याप्तकके जघन्य स्थितिबन्ध पर्यन्त स्थितिके भेद सम्बन्धी अधस्तन शलाका संख्यातगुणी जानना और ऊपर अर्थात् बादर अपर्याप्तकके उत्कृष्ट स्थितिबन्धके अनन्तर से लेकर सूक्ष्म पर्याप्तकके उत्कृष्ट स्थितिबन्ध पर्यन्त स्थिति के भेद सम्बन्धी उपरितन शलाका उससे संख्यातगुणी जाना । सो पहलेकी शलाका चार, एक दोका जोड़ सात हुआ । उसको संख्यात के चिह्न दोसे गुणा ३०करनेपर नीचे तो चौदह शलाका हुई। उन्हें संख्यात के चिह्न दोसे गुणा करनेपर अट्ठाईस
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