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________________ थी ? वह बोला- अरे ! मूर्खों, क्या कर रहे हो ? यह इतना विशाल काय हाथी और तुम हो क्षुद्र काय ? हाथी को क्या मारोगे ? वही तुम्हें मार देगा । आओ, घर भाग चलें । यह कह कर वह अपने निवास स्थान की ओर भाग चला । वह शियाल का बच्चा भागा, तो उसके पीछे-पीछे शेर के बच्चे भी चले आए। शियाल के बच्चे ने शेरनी से शिकायत की कि ये दोनों भाई कितने मूर्ख हैं, जो एक विशाल काय हाथी को मारने की बात कर रहे थे । देखो, मैं इन्हें बचा लाया । शेर के बच्चों ने शेरनी से कहा- माँ यह भैया तो बड़ा डरपोक है । हाथी को देखते ही डर गया, और भाग आया । इस प्रकार शेर के बच्चे उसका मजाक करने लगे । - शियाल मजाक सहन न कर सका, उसने क्रुद्ध होकर शेरनी से कहा - इन मूर्खों को समझा दो, कि मेरा मजाक न करें, अन्यथा मैं इन्हें मार दूँगा । ये अपने को बड़ा बलवान समझते हैं और मुझे निर्वल । मैं भी कुछ कम नहीं हूँ । मैं अकेला ही हाथी को मार सकता था, परन्तु इन्हें बचाने के लिए चला आया । शेरनी ने शियाल के बच्चे को सब पुरानी घटित घटना सुनाते हुए कहा - वस्तुतः तू शेर नहीं शियाल है । ये बच्चे अभी अज्ञान हैं, समझते नहीं हैं । बड़े होने पर जब इन्हें पता चलेगा कि तू शियाल है, तो क्रुद्ध होकर तुझे मार देंगे । तेरी हड्डी - पसली सब बिखेर देंगे | अतः जब तक इन्हें पता नहीं चलता है, तभी तक तू सुरक्षित है | यदि तू अपने प्राण बचाना चाहता है, तो शीघ्र ही भाग जा और अपनी जाति में जाकर मिल जा । तेरी जाती में कोई ऐसा नहीं हैं, जो हाथी को मार सके " यस्मिन् कुले त्वमोत्पन्न, गजस्तत्र न हन्यते ।" इतना सुनना था कि शियाल डर गया और तत्काल भागकर शियालों में जा कर मिल गया । पंचतंत्र की कथा का सार यह है, कि व्यक्ति को अपना व्यक्तित्व एवं अपनी शक्ति पहचानकर ही काम करना चाहिए । किन्तु कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं, जो अपने बलबुते को ठीक तरह नहीं पहचान पाते हैं । अहंकार - ग्रस्त होकर अपनी योग्यता से १२० चिन्तन के झरोखे से : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001308
Book TitleChintan ke Zarokhese Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherTansukhrai Daga Veerayatan
Publication Year1989
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size10 MB
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