________________
" शिवमस्तु सर्व जगतः परहित- निरता भवन्तु सत्वगणाः । दोषाः प्रयान्तु नाशं, सर्वत्र सुखी भवतु लोकः ।। "
वीर भूमि वीरायतन का यह आदर्श रहा है । जिनेन्द्र देव का यह धर्मचक्र सब ओर प्रसार पाए, फैले, सब को सुख-शान्ति और आनन्द देता रहे । भगवान् महावीर धर्म - चक्रवर्ती हैं । अतः महाप्रभु के धर्मचक्र का प्रवर्तन होना ही चाहिए
“जैनेन्द्रं धर्मचक्रं प्रसरतु सततं सर्व सौख्य प्रदायि ।"
दिसम्बर १९८३
Jain Education International
(२९२)
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org