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उनके जीवन के भाग्य में बदा है, जो गतिहीन होकर यूँ ही जड़-मूढ़ से बने अड़ियल पशु की तरह खड़े रहते हैं । किं अधिकं ! नव वर्ष का सूत्र है
नया मन, नई वाणी और नए कर्म का नया स्वप्न लेकर नवनिर्माण की दिशा में अग्रसर होना | आप जितने अधिक अग्रसर होंगे, उतने ही अधिक सम्मान के शिखरों को स्पर्श करेंगे | नेता का अर्थ ही है - नयन करना अर्थात् स्पष्ट चिन्तन एवं साहस के साथ स्वयं आगे बढ़ना और अपने पृष्ठ के अनुयायी-जनों के हेतु चिन्तन, मनन एवं कर्म का जन-मंगल रूप पथ प्रशस्त करना | भीषण वन-भूमि का गजराज अपने गज-यूथ के पीछे नहीं, आगे रहता है । नेतृत्व पीछे रहने में नहीं, आगे रहने में है । मैं यह नहीं कहता कि सभी नेता हो सकते हैं | किन्तु, यदि आपमें शक्ति है, सामर्थ्य है एवं नेता होने की जीवन्त क्षमता है, तो आप नेता क्यों नहीं होते ? शक्ति के होते हुए उसका समय पर उचित प्रयोग एवं उपयोग न करना, यह भी एक प्रकार का पाप हैसामाजिक अपराध है । पूरी शक्ति के साथ इस अपराध से बचने की चेष्टा कीजिए और आगे बढ़िए ।
प्रस्तुत चिन्तन को मैं और अधिक गति देने के लिए अपने अप्रतिम ज्ञानी महापुरुषों, महान प्रबुद्ध आचार्यों एवं अन्य मनीषियों के कुछ भव्य चिन्तन सूत्रों को यहाँ उपस्थित कर रहा हूँ, इसलिए कि आप जैसे जिज्ञासु पाठकों को तो उनसे नवातिनव प्रेरणा मिले ही, साथ ही आपके अन्य साथियों को भी विचार-चर्चा के प्रसंग में निर्बल एवं मन्दगति सुस्तमन, वाणी और कर्म को भी उत्तरंगित करने वाली नव-प्रेरणा प्राप्त हो सके । जीवन के युगानुरूप वे नित्य नए स्वप्न देखें और उन्हें अपनी सर्वातिशायिनी जागृत शक्ति के द्वारा कर्म का रूप दें | जीवन की सर्वोत्कृष्ट महत्ता का वह ही महान क्षण होता है- जब मनुष्य जागृत स्थिति में नवनिर्माण के नित्य नए स्वर्णिम स्वप्न देखता है । और, इससे भी अधिक महतोमहीयान् वह शुभावसर होता है, जब मनुष्य अपने दृष्ट स्वप्नों को यथोचित कर्म का आश्चर्यकारी दिव्य स्वरूप देता है । उपस्थित किए जाने वाले चिन्तन सूत्र उक्त ज्योतिर्मय जीवन निर्माण के अमोघ सूत्र हैं, सूत्र . क्या, अमोघ मन्त्र हैं।
कालेण कालं विहरेज्ज रट्टे | -अपने प्राप्त वर्तमान समय का यथोचित उपयोग करते रहिए । कालपडिलेहणयाए णं नाणावरणिज्जं कम्मं खवेइ ।
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