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________________ -काल की प्रतिलेखना से अर्थात् समयोचित कार्य-क्रमों का विवेकपूर्वक ध्यान रखने से कर्तव्य-मूढता आदि अज्ञानता सहज ही समाप्त हो जाती है । काले कालं समायरे -जो शुभ कार्य जिस समय करना है, उसे उसी निर्धारित समय पर कर लेना चाहिए । समयं गोयम ! मा पमायए। -हे गौतम ! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत कर | अणभिक्कंतं च वयं संपेहाए, खणं जाणाहि पंडिए । -जो बीत गया, सो बीत गया । शेष रहे जीवन को लक्ष्य में रखते हुए प्राप्त अवसर को परख, समय का मूल्य समझ । - श्रमण भगवान महावीर अतीत नानुसोचन्ति, नप्पजप्पन्ति नागतं । पच्चुप्पन्नेन यापेन्ति, तेन वण्णो पसीदती ।। -जो अतीत के सम्बन्ध में शोकाकुल नहीं होते और न भविष्य के प्रति चिन्ता से व्याकुल । जीवन का जो वर्तमान काल है, उसका सही उपयोग करते रहते हैं, वे साधक सदा प्रसन्न चित्त रहते हैं । -तथागत बुद्ध जं कल्ल कायव्, परेण अज्जेव तं वरं काउं । -जो कोई अच्छा काम कल करना है, वह आज ही कर लेना श्रेष्ठ है। -बृहत्कल्प भाष्य पुरातनैर्या नियता व्यवस्थितिस्तथैव सा किं परिचिन्त्य सेत्स्यति । तथैति वक्तुं मृतरूढ - गौरवाद् अहं न जातः प्रथयन्तु विद्विषः ।। (४८४) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001307
Book TitleChintan ke Zarokhese Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherTansukhrai Daga Veerayatan
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size12 MB
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