________________
साथ जन-मंगल की दिशा में सत्कर्म करते रहने की । जीवन एक यात्रा है । यात्रा में कठिनाइयाँ, विघ्न-बाधाएँ आ सकती हैं । पर उनसे घबराइए नहीं, थककर बैठिए नहीं । आपका अदम्य धैर्य, सत्साहस, प्रगतिशील चिन्तन और विवेकयुक्त कर्म बना रहा, और आपके मन, वाणी और पुरुषार्थ का तेज अपराजित रहा तो, कुछ भी असंभव नहीं है । विघ्न बाधाएँ शीघ्र ही दूर होंगी, कांटे फूलों में बदलेंगे । जीवन महकेगा, धरती पर स्वर्ग उतरेगा ।
जनवरी १९८३
(२२३)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org