________________
नए वर्ष की आवाज
आपका
नया वर्ष आपके द्वार पर खड़ा है । वह आवाज दे रहा पिछला जैसा था, वह चला गया । अब आप लौटकर न उसके पास जा सकते हैं और न वह आपके पास आ सकता है । उसमें अच्छा या बुरा जितना जीवन जीना था, जी लिए । लाख प्रयत्न करें, विगत विगत है, उसमें जीवन का पुनः प्रवेश संभव नहीं है, अतीत को किसी भी मूल्य एवं स्तर पर लौटाया नहीं जा
सकता ।
अतएव विगत को भूल जाइए । विगत के सुख को भूल जाइए और भूल जाइए विगत के दुःख को भी । सुख को न भूलेंगे, तो वह अब भी आपको अपनी स्मृति दिला कर परेशान करता रहेगा, आसक्ति के जाल में फँसाये रखेगा। और विगत के दुःख को न भूलेंगे, तो वह भी अपनी कटु स्मृतियों से आपके मन को कुरेदता रहेगा, भोगी हुई पीड़ा और वेदना के घावों को भरने न देगा, अपितु उन्हें और अधिक चौड़ा और गहरा करता रहेगा । विगत के सुख-दु:खों की स्मृतियों से शान्ति नहीं, अधिकतर अशान्ति ही मिलती है । यदि आप मेरा जीवन का अनुकूल विकास - यात्रा में यथोचित सही उपयोग करना चाहते हैं, तो मेरे साथ विगत को न जोड़िए । मैं जीवित हूँ, और विगत मृत है, शव है, निष्प्राण है । जीवित और मृत की सहयात्रा कैसे संभव है ?
-
हाँ अतीत की अच्छी अनुभूतियों, विचार और आचार की विशिष्टताओं के जो अंश जीवित हैं, सप्राण हैं, अभी तक जिनकी उपयोगिता समाप्त नहीं हुई हैं, उन्हें यदि साथ लेकर चलते है, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि मैं तो आग्रह करूँगा कि अवश्य ही मेरे साथ उनका भी अनुसरण करते रहिए । मुझे नफरत है अनुपयोगिता से, फिर भले वह अनुपयोगिता व्यक्तिगत हो, या सामाजिक, धार्मिक हो या और कुछ । मैं हर कली के खिले हुए महकते पुष्पों को पसन्द करता हूँ, मुरझाए हुए मरणोन्मुख या मृत पुष्पों को नहीं । मैं पूछता
(२२०)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org