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दत्तात्रेय के २४ गुरु भी इसी कोटि के हैं। कुत्ता भी गुरु है, चील भी गुरु है । इन साधारण प्राणियों की नाचीज हरकतें भी दत्तात्रेय को बोध दे गई। बोध लेने वाला चाहिए; विश्व की हर घटना गुरु. होने के लिए प्रस्तुत है। हर जगह बोध का प्रकाश है, देखने वाली आँखें चाहिए । प्रकाश के होते हुए भी अंधी आँखों को प्रकाश नहीं दिखाई देता तो इसमें प्रकाश क्या करे ।
फरवरी १९७८
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