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दिन-प्रति-दिन जितनी तत्परता से प्रश्नों के हल खोजे जा रहे हैं, उतनी ही तत्परता से हर क्षेत्र प्रश्नों में उलझता भी जा रहा है । घर-घर, गाँव-गाँव, व्यक्ति-व्यक्ति कूट राजनीति की फाईलों का ढेर लगाता जा रहा है । अत: भावी पीढ़ी के समक्ष सहृदयतापूर्वक उदारता से रचनात्मक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करना आवश्यक है । जिससे दिशाहीन युवाशक्ति विध्वंस, तोड़-फोड़ एवं विनाश में नष्ट न होकर सही निर्माण की दिशा पकड़े । राष्ट्र के नेताओं पर इसका बहुत बड़ा दायित्व है ।
मई १९७७
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