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नहीं रहेगा | सब अपने होंगे । वैर विरोध के अतीत को भूल जाओ " जो बीत गई वह बात गई ।" वैर का बदला वैर से लेना, खून से सने कपड़े को खून से धोना है, आग को आग से बुझाना है | अस्तु, प्रेम और मैत्री के अमर देवता प्रभु महावीर के चरणों का स्मरण कर प्रतिदिन प्रात: और सायं भावना करो कि समग्र विश्व मेरा मित्र है, शत्रु कोई है ही नहीं। मैं सबका हित सबका कल्याण चाहता हूँ..... और अन्य सब मेरा चाहते हैं... मैं तन-मन-धन से सबकी भलाई करूँगा सबकी भलाई में ही मेरी भलाई है सर्वत्र सब ओर प्रेम है, स्नेह है, सद्भावना है, मैत्री है, और इसीलिए सर्वत्र शान्ति है, सुख है, आनन्द है | घृणा
और द्वेष की, वैर और विरोध की अन्धकाराच्छन्न काली रात समाप्त हो रही है प्रेम, स्नेह, सद्भावना का स्वर्णिम प्रभात जगमगाता आ रहा है, नए चिन्तन के क्षितिज पर नए विश्व का आलोक फैल रहा है ! जय प्रेम ! जय मैत्री !
फरवरी १९७७
(१२९)
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