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४९० चिंतन की मनोभूमि
महापुरुष कृष्ण ने अपने जीवन-व्यवहार के द्वारा गोपालन की महत्त्वपूर्ण परम्परा स्थापित की, जिस देश की संस्कृति ने गायों के सम्बन्ध में उच्च से उच्च और पावन से पावन भावनाएँ जोड़ीं, वह देश आज अपनी संस्कृति को, अपने धर्म को और अपनी भावना को भूलकर इतनी दयनीय दशा को प्राप्त हो गया है कि वह बीमार बच्चों को भी दूध नहीं पिला सकता !.
दूसरी ओर अमेरिका है, जिसे लोग म्लेच्छ देश तक कहा करते हैं और घृणा बरपाया करते हैं ! आज उसी अमेरिका में प्राप्त होने वाले दूध का हिसाब लगाया गया है, तो पाया गया है कि वहाँ एक दिन में इतना दूध होता है कि तीन हजार मील लम्बी, चालीस फुट चौड़ी और तीन फुट गहरी नदी दूध से पाटी जा सकती है !
हमारे सामने यह बड़ा ही करुण प्रश्न उपस्थित है कि हमारा देश कहाँ से कहाँ चला गया है ! यह देवों का देश आज किस दशा में पहुँच गया है ! देश की इस दयनीय दशा को दूर करके यदि समस्या को हल करना है, तो उसे संस्कृति और धर्म का रूप देना होगा। इन्सान जब भूखा मरता है, तो यह मत समझिए कि वह भूखा रह कर यों ही मर जाता है। उसके मन में घृणा और हा-हाकार होता है; और जब ऐसी हालत में मरता है, तो देश के निवासियों के प्रति घृणा और हा-हाकार लेकर ही जाता है ! वह समाज और राष्ट्र के प्रति एक कुत्सित भावना लेकर परलोक के लिए प्रयाण करता है और खेद है कि हमारा देश आज हजारों मनुष्यों को इसी रूप में विदाई देता है ! किन्तु प्राचीन समय में ऐसी बात नहीं थी। भारत ने मरने वालों को प्रेम और स्नेह दिया है और उनसे प्रेम और स्नेह ही लिया है। उनसे घृणा नहीं ली थी, द्वेष और अभिशाप नहीं लिया था !
आप चाहते हैं कि भारत से और सारे विश्व से चोरी और झूठ कम हो जाए। किन्तु भूख की समस्या को सन्तोषजनक रूप में हल किए बिना यह पाप किस प्रकार दूर किया जा सकता है ? आज व्यसन से प्रेरित होकर और केवल चोरी करने के अभिप्राय से चोरी करने वाले उतने नहीं मिलेंगे, जितने अपनी और अपनी स्त्री तथा बच्चों की भूख से प्रेरित होकर, सब ओर से निरुपाय होकर, चोरी करने वाले मिलेंगे। उन्हें और उनके परिवार को भूखा रख कर आप उन्हें चोरी करने से कैसे रोक सकते हैं ? धर्मशास्त्र का उपदेश वहाँ कारगर नहीं हो सकता। नीति की लम्बीचौड़ी बातें उन्हें पाप से रोकने में समर्थ नहीं हैं। नीतिकार ने तो साफ-साफ कह दिया है
"बुभुक्षितः किं न करोति पापम् ?
क्षीणा नरा निष्करुणा भवन्ति ॥ "
भूखा क्या नहीं कर गुजरता ? वह झूठ बोलता है, चोरी करता है, हत्या कर बैठता है, दुनिया भर के जाल, फरेब और मक्कारियाँ भी वह कर सकता है।
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