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समाज-सुधार ४४७ उच्चतम चोटी पर चढ़कर कल्याण की वंशी टेरने लगेगा। यही सारे सुधारों की केन्द्रबिन्दु है। भूतल को स्वर्ग बनाने का अमोघ मन्त्र है। आज की गालियाँ : कल का अभिनन्दन :
स्मरण रखिए, आज का समाज गालियाँ देगा, किन्तु भविष्य का समाज 'समाजनिर्माता' के रूप में आपका स्मरण करेगा। आज का समाज आपके सामने काँटे बिखेरेगा, परन्तु भविष्य का समाज श्रद्धा की सुमन-अंजलियाँ भेंट करेगा। अतएव आप भविष्य की ओर ध्यान रखकर और समाज के वास्तविक कल्याण का विचार करके, अपने मूल केन्द्र को सुरक्षित रखते हुए, समाज-सुधार के पुनीत कार्य में जुट जाएँ, भविष्य आपका है।
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