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________________ Monomenonwoman अपने उच्चस्तरीय पाण्डित्य के कारण द्रष्टव्य हैं। द्वारा किया गया है। जैसे, नर्क जाने पर किस ब्रिटिश लाइब्रेरी के संग्रह में सर्वाधिक प्रकार उत्पीड़न सहना पड़ता है। अन्य तकनीकि महत्वपूर्ण और जिन पर उसे गर्व भी होगा, विषयों को भी चार्ट और रेखाचित्रों द्वारा सरल वे 40 ग्रंथ हैं, जो सचित्र हैं। इनमें से कुछ बना दिया गया है। इसके अतिरिक्त बहुत विस्तार में एकाधिक लघु चित्र ही हैं तो औरों में पूरा से चित्रित शालिभद्र चौपाल का भी उल्लेख किया का पूरा (एक पांडुलिपि में 40 से 60 तक जा सकता है, जिसे मतिसार द्वारा लिखित बताया का) समूह ही है। विक्टोरिया एंड अलबर्ट जाता है। इसके अतिरिक्त कथाओं की कुछ म्युजियम के संग्रह के अधिकांश ग्रंथो में सभी पांडुलिपियां भी हैं, जो वस्तुतः जैन नहीं हैं पत्र चित्रमय हैं। ये ग्रंथ और विषय ज्यादातर, पर अनेक जैन लेखकों द्वारा अधिगृहित कर मानक मापदंडो के हैं, जिन्होंने चित्रमय परम्परा ली गई थीं, जैसे शुकसप्रति। को प्रवर्ति करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आशा की जानी चाहिए कि दो खंडों तथा जिसका चरमोत्कर्ष हम लगभग 14वीं शताब्दी 100 से भी अधिक पृष्ठों में प्रकाशित होनेवाले में देखते हैं। इस सूचिपत्र द्वारा जैन विषयों के अध्ययन की इस प्रकार यहां हमें कल्पसूत्र तथा ओर जैनियों की उत्सुकता बढ़ेगी, उन्हें प्रोत्साहन उत्तराध्ययनसूत्र की पांडुलिपियां मिलती हैं। मिलेगा, विशेषतः उन जैनों की, जो अब भारत हस्तलिखित ग्रंथों का दूसरा महत्वपूर्ण वर्ग है से बाहर रह रहे हैं। उन चित्रमय पांडुलिपियों का, जो ब्रह्मांण्डिकी डॉ. उर्मिला जैन से सम्बद्ध हैं। इनमें जैनियों द्वारा मान्य विश्व 8/ए, बंद रोड, एलेनगंज, के विभिन्न पक्षों का प्रतिनिधित्व विविध प्रकारों इलाहबाद - 11 002 (उत्तरप्रदेश) રજ13યંતી વર્ષ : - તીર્થ-સૌરભ ૧૫૯ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001295
Book TitleTirth Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmanandji Maharaj
PublisherShrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba
Publication Year2000
Total Pages202
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Devotion, & Articles
File Size6 MB
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