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जीवन जीने का हौसला बढाओ -
जीवन सेज नहीं सुमनों की
सो जाओ खराँटे मार, जीवन है संग्राम निरंतर
प्रतिपद कष्टों की भरभार । दृढ साहस के धनी कर्मरत
जो रहते हरक्षण बेदार, वही पहुँचते हँसते हँसते विजयश्री के स्वर्णिम द्वार ।
રજતજયંતી વર્ષ : ૨૫
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उपाध्याय अमर मुनि
તીર્થ-સૌરભ
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