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सदाचार
प्र. १ : सदाचार किसे कहते हैं ? उ. . : उत्तम आचार और विचारवाले पुरुषोंका वह आचरण
कि जो सत् स्वरूप ऐसे आत्पा की प्राप्तिमें सहयोगी कारण बने उसे सदाचार कहते हैं । उसका दूसरा नाम
सामान्य नीति भी है। प्र. २ : इस बातको विशेष रूपसे स्पष्ट समझाकर उसका
व्यावहारिक स्वरूप बताइये । उ. २ जहाँ बड़े दुर्गुण हों, जहाँ असत्यके प्रति रुचि हो, जहाँ
अंतरमें तीव्र पापभाव विद्यमान हों और जहाँ इन्द्रियों और मनकी प्रवृत्तिका स्वच्छंदरूपसे अन्यायपूर्वक प्रवर्तन हो, वहाँ शीतल आत्मिक सुख प्रगट नहीं होता और इसलिए आत्मज्ञान भी नहीं होता । निम्नलिखित जीवनचर्या बनानेसे सामान्य सदाचारका पालन हो सकता है । इसलिये मुमुक्षुको अत्यंत प्रयत्नपूर्वक उसे सिद्ध करना आवश्यक है : (१) किसी भी मनुष्यके साथ विश्वासघात करना नहीं। (२) किसी पर झूठा दोष लगाना नहीं । (३) लेनदेनमें बुरे आशयसे कम- अधिक देना नहीं;
मिश्रित करके देना नहीं । (४) छलकपटसे बुद्धिपूर्वक किसीके साथ धोखा करना
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