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प्रमेयकमलमार्तण्डे कथं पुनर्नयसप्तभङ्गया: प्रवृत्तिरिति चेत् ? 'प्रतिपर्यायं वस्तुन्येक त्राविरोधेन विधिप्रतिषेधकल्पनायाः' इति ब्रमः । तथाहि-सङ्कल्पमात्रग्राहिणो नेगमस्याश्रयणाद्विधिकल्पना, प्रस्थादिकं कल्पनामात्रम्-प्रस्थादि स्यादस्ति' इति । संग्रहाश्रयणात्तु प्रतिषेधकल्पना; न प्रस्थादि सङ्कल्पमात्रम्-प्रस्थादिसन्मात्रस्य तथाप्रतीतेरसतः प्रतीतिविरोधादिति । व्यवहाराश्रयणाद्वा द्रव्यस्य पर्यायस्य वा प्रस्थादि
सप्तभंगी विवेचन प्रश्न-नयों के सप्तभंगों की प्रवृत्ति किसप्रकार हुआ करती है ?
उत्तर-~-एक वस्तु में अविरोधरूप से प्रति पर्याय के प्राश्रय से विधि और निषेध की कल्पना स्वरूप सप्तभंगी है या सप्तभंगी की प्रवृत्ति है। आगे इसी को दिखाते हैं - संकल्पमात्र को ग्रहण करनेवाले नैगमनय के प्राश्रय से विधि [ अस्ति ] की कल्पना करना, कल्पना में स्थित जो प्रस्थ [माप विशेष] है उसको "प्रस्थादि स्याद् अस्ति" ऐसा कहना और संग्रह का आश्रय लेकर प्रतिषेध [नास्ति] की कल्पना करना, जैसे प्रस्थादि नहीं है ऐसा कहना । संग्रह कहेगा कि प्रस्थादि संकल्प मात्र नहीं होता, क्योंकि सत् रूप प्रस्थादि में प्रस्थपने की प्रतीति होगी प्रसत् की प्रतीति होने में विरोध है । इसप्रकार नैगम द्वारा गृहीत जो विधिरूप संकल्प में स्थित प्रस्थादि है वह संग्रहनय की अपेक्षा निषिद्ध होता है । अथवा नैगम के संकल्पमात्ररूप प्रस्थादि का निषेध व्यवहार से भी होता है, क्योंकि व्यवहारनय भी द्रव्यप्रस्थादि या पर्यायप्रस्थादि का विधायक है इससे विपरीत संकल्पमात्र में स्थितप्रस्थादि फिर चाहे वह आगामी समय में सत्रूप होवे या असत्रूप होवे ऐसे प्रस्थादि का विधायक व्यवहार नहीं हो सकता । नैगम के प्रस्थादि का ऋजुसूत्रनय द्वारा ग्रहण नहीं होता क्योंकि यह पर्याय मात्र के प्रस्थादि को प्रस्थपने से प्रतिपादन करता है अत: नैगम के प्रस्थादि का वह निषेध [नास्ति] ही करेगा। अर्थात् प्रस्थ पर्याय से जो रहित है उसकी प्रतीति इस नय से नहीं हो सकती। शब्दनय भी कालादि के भेद से भिन्न अर्थरूप जो प्रस्थादि है उसीको प्रस्थपने से कथन करता है अन्यथा अतिप्रसंग होगा । समभिरूढनय का आश्रय लेने पर भी नैगम के प्रस्थादि में प्रतिषेध कल्पना होती है, क्योंकि समभिरूढ पर्याय के भेद से भिन्न अर्थरूप को ही प्रस्थादि स्वीकार करेगा, अन्यथा अतिप्रसंग होगा । एवंभूत का आश्रय लेकर भी सङ्कल्परूप प्रस्थादि में प्रतिषेध कल्पना होती है, क्योंकि यह
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