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________________ तदाभासस्वरूपविचार: स्तत्सिद्धि : यथा प्रत्यक्षानुमानाद्य विषयो व्याप्तिनं ततः सिद्धिसौधशिखरमारोह ति, प्रविषयश्च परलोकनिषेधादिः प्रत्यक्षस्येति । मा भूत्प्रत्यक्षस्य तद्विषयत्वमनुमानादेस्तु भविष्यतीत्याह __ अनुमानादेस्तद्विषयत्वे प्रमाणान्तरत्वम् ॥ ५८ ॥ चार्वाकं प्रति । सौगतादीन्प्रतितर्कस्येव व्याप्तिगोचरत्वे प्रमाणान्तरत्वम् अप्रमाणस्य अव्यवस्थापकत्वात् ।। ५६॥ प्रमाण द्वारा परलोक निषेधादि नहीं होने से वह एक संख्या बाधित होती है । अनुमान सिद्ध बात है कि-जो जिसका अविषय है वह उसके द्वारा सिद्ध नहीं होता, जैसे प्रत्यक्ष अनुमान आदि का व्याप्ति प्रविषय होने से उनके द्वारा वह सिद्धि रूपी प्रासाद शिखर का आरोहण नहीं कर सकती अर्थात् प्रत्यक्ष अनुमानादि से व्याप्ति की सिद्धि नहीं होती, परलोक निषेध आदि प्रत्यक्ष प्रमाण का अविषय है ही अतः वह प्रत्यक्ष द्वारा सिद्ध नहीं किया जा सकता । इसप्रकार चार्वाक, बौद्ध आदि सभी परवादियों के यहां जो जो प्रमाण संख्या मानी है वह वह सब ही संख्याभास है वास्तविक प्रमाण संख्या नहीं है ऐसा निश्चय हुआ। अब यहां कोई शंका करे कि परलोक निषेधादिक प्रत्यक्ष प्रमाण का विषय भले ही मत होवे किन्तु अनुमान प्रमाण का विषय तो वह होगा ही ? सो इस शंका का समाधान करते हैं अनुमानादेस्तद् विषयत्वे प्रमाणान्तरत्वम् ।।५।। अर्थ-चार्वाक यदि अनुमानादि द्वारा परलोक निषेध आदि कार्य होना स्वीकार करे, अर्थात् परलोक निषेध इत्यादि अनुमान का विषय है ऐसा माने तो उस अनुमान को प्रमाणभूत स्वीकार करना होगा, और इसतरह प्रत्यक्ष से अन्य भी प्रमाण है ऐसा स्वीकार करने से उस मत की प्रमाण संख्या खण्डित होती हो है। जैसे बौद्ध मतकी संख्या खण्डित होती है__ तर्कस्येव व्याप्तिगोचरत्वे प्रमाणान्त रत्वम् अप्रमाणस्याव्यवस्थापकत्वात् ।।५।। अर्थ-बौद्ध यदि व्याप्ति को तर्क प्रमाण विषय करता है ऐसा माने अर्थात् तर्क प्रमाण द्वारा व्याप्ति का [ साध्य-साधन का अविनाभाव ] ग्रहण होता है ऐसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001278
Book TitlePramey Kamal Marttand Part 3
Original Sutra AuthorPrabhachandracharya
AuthorJinmati Mata
PublisherLala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year
Total Pages762
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size16 MB
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