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श्रर्थस्य सामान्यविशेषात्मकत्ववादः
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न चानयोर्विरोधः; कथञ्चिदर्पितयोः सत्त्वासत्त्वयोरिव भेदाभेदयोर्विरोधासिद्धेः, तथाप्रतीतेश्च । प्रतीयमानयोश्च कथं विरोधो नामास्यानुपलम्भसाध्यत्वात् ? न च स्वरूपादिना वस्तुनः सत्त्वे तदैव पररूपादिभिरसत्त्वस्यानुपलम्भोस्ति । न खलु वस्तुनः सर्वथा भाव एव स्वरूपम् ; स्वरूपेणेव पररूपेणापि भावप्रसंगात् । नाप्यभाव एव; पररूपेणेव स्वरूपेणाप्यभावप्रसंगात् ।
न च स्वरूपेण भाव एव पररूपेणाभाव:, परात्मना चाभाव एव स्वरूपेण भावः; तदपेक्षणीनिमित्तभेदात् स्वद्रव्यादिकं हि निमित्तमपेक्ष्य भावप्रत्ययं जनयत्यर्थः परद्रव्यादिकं त्वपेक्ष्याऽभावप्रत्ययम् इति एकत्वद्वित्वादिसंख्यावदेव वस्तुनि भावाभावयोर्भेदः । न ह्येकत्र द्रव्ये द्रव्यान्तरमपेक्ष्य
वस्तु में स्वस्वरूपादि की अपेक्षा सत्व मानने पर उसी वक्त पररूपादि की अपेक्षा असत्व मानने का अनुपलम्भ नहीं है । वस्तु का स्वरूप सर्वथा भावरूप ही नहीं हुआ करता, यदि सर्वथा भावरूप वस्तु है तो स्वरूप के समान पररूप से भी वह भावरूपअस्तित्वरूप बन जायगी ? ( फिर तो वह विवक्षित वस्तु घट पट गृह आदि सब रूप कहलाने लगेगी ) तथा वस्तु सर्वथा प्रभावरूप भी नहीं है, यदि होती तो पर के समान स्वस्वरूप से भी वह प्रभावात्मक बनती ।
विशेषार्थ : - वैशेषिक अवयव अवयवी, गुण-गुणी इत्यादि में सर्वथा भेद मानता है, उसका कहना है कि इन अवयव अवयवी आदि में विरुद्ध धर्म पाये जाते हैं अर्थात् अवयव का धर्म अलग है और अवयवी का अलग, जैसे तन्तु अवयवों का धागेरूप अल्प परिमाणरूप रहना धर्म है अर्थात् स्वरूप है तथा वस्त्र अवयवी का विस्तार रूप रहना इत्यादि धर्म है अतः इनमें सर्वथा भेद है, तथा इनमें अर्थक्रिया भी पृथक् होती है, संख्या भी पृथक् है, भिन्न प्रमाण ग्राह्यत्व भी है, इत्यादि कारणों से अवयव अवयवी आदि पदार्थं आपस में सर्वथा भेद रूप ही होते हैं खण्डन करते चले ग्राये हैं, अवयव अवयवी आदि में भेद है वह कथंचित् हो है यदि सर्वथा भेद होता तो घट और पट के समान तन्तु और वस्त्र रूप अवयव अवयवी पृथक्-पृथक् दिखाई देते । तन्तुयों का अल्प परिमाण रहना आदि तो पट रूप बनने के पहले की बात है, तन्तुयों को आतान प्रादि रूप करके वस्त्र बनने के बाद वे स्वयं भी वस्त्ररूप प्रतीत होने लगते हैं । भिन्न-भिन्न प्रमाण से तन्तु पट आदि ग्रहण होते हैं। अतः भिन्न हैं ऐसा कहना तो बिलकुल हास्यास्पद है, एक ही पदार्थ प्रत्यक्ष, अनुमान
।
जैन इस मत का क्रमशः
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