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अन्वय्यात्मसिद्धिः
यया च द्वधा सामान्यं तथा
विशेषश्च ।। ७॥ चकारोऽपिशब्दार्थे । कथ तद्द्व विध्यमित्याह
पर्यायव्यतिरेकभेदात् ।। ८॥
अब यहां विशेष का भेद सहित वर्णन करते हैं
विशेषश्च ।। ७ ॥ जैसे सामान्य के दो भेद हैं वैसे विशेष के भी दो भेद हैं। सूत्रस्थ चकार शब्द 'भी' अर्थ का वाचक है। उसी दो भेदों के नाम बताते हैं
पर्यायव्यतिरेकभेदात् ।। ८ ॥
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