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अर्थकारणतावादा
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अर्थकारणवाद और पालोककारणवाद के खंडन का सारांश
बौद्ध नैयायिकादि प्रवादी पदार्थ को ज्ञानका कारण मानते हैं उनका कहना है कि ज्ञान पदार्थ से उत्पन्न होता है, किन्तु यह मान्यता सिद्ध नहीं होती है । कामलादि रोग के कारण केशोण्डुक ज्ञान होता है ऐसा कहे तो जैसे सदोष नेत्र भ्रान्त ज्ञान के हेतु हैं वैसे निर्दोष नेत्र सत्य ज्ञान के हेतु हैं ऐसा मानना चाहिये । अर्थकारणवाद की तरह आलोककारणवाद भी असत् है क्योंकि प्रकाश के अभाव में शान होता है अंधकार में भी "यह अंधकार है" ऐसा ज्ञान होता है । तथा बिल्ली, उल्लू, सिंह, शेर प्रादि प्राणियों को बिना प्रकाश के ज्ञान होता है । इस तरह पदार्थ पौर प्रकाश दोनों भी ज्ञान के हेतु नहीं हैं ऐसा निश्चय होता है । अतः पदार्थ के अभाव में तथा प्रकाश के अभाव में भी ज्ञान होता है ऐसा मानना चाहिये ।
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